बुधवार, 3 अगस्त 2016

थोडा हंस लो

भिखारयाँ को काम माड़ो, और तो और हट्टा-कट्टा भी भीख माँगै लाग्या।। काल परस्यूँ मैरो मूद्दत बाद म मेरो फतेहपुर जाणै को काम पड़्यो.. मैं बस स्टेंड पर खड़्यो हो ।। हट्टो-कट्टो👹सो, फाटेड़ा कपड़ा👔पहरेड़ो भायलो लारै होग्यो ओर कहण लाग ग्यो - भाईजी तीन-च्यार दिन स्यूँ भूखो😢हूँ, क्यूँ भी खायो कोनी, भगवान क नाम पर दे द्यो क्यूँ न क्यूँ, बेटो हूसी थारै.. मैं मन ही मन म सोची - तेरा भला हूज्या तेरा😜, नसबंदी होयेड़ो कै ही बेटो के? खैर मैं जेब स्यूँ गाँधी जी छाप पाँच सै को लोट काडयो और बोल्यो - च्यार सै रिपिया छुट्टा मिल ज्यासी के?? भिखारी बोल्यो - हाँ भाईजी मैं बोल्यो - साळा कुत्ता,🐶खा लै तो फेर जा के, क्यूँ भुखो मरतो मरै फिरै थे के सोच्यो? मैं सो को लोट दे दियो? सही पुछो तो मेरो बस चालतो तो दाई नै भी दस रिपिया कोनी देण देतो।।

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