मंगलवार, 9 अगस्त 2016

सावन में रिमझिम

*सावण आयो सायबा, हियो हिलोरा खाय।* *जोड़ायत जोवै बाटड़ी, बैठ झरोखां मांय।।* *जौबन छळकै जोररो र सावण सु़रंगो मास।* *हीण्डो ऊंचो मांडियो, पिया मिलण री आस।।* *धकधक धड़कै काळजो बीजळ जद चमकै।* *गहरो गाजत बादळा तूं! कीड़्यां क्यूं छमकै।।* *घरां पधारो पीवजी म्हारि रातां नींद उड़ी।* *सीरो जिमास्यूं परेम रो र आछी साग पुड़ी।।* *गुरबत करस्यां रात में र सगळी मन री बात।* *अणमोलो छीज्यां जौबणोआवैलो नी हाथ।।* *खेती करस्यां गांव में र गायां दुहस्यां च्यार।* *रळमिळ टाबर पाळस्यां भली करै करतार।।* *सावन आयो सुरंगों, भले पधारों मरुधर देश (

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