रविवार, 14 अगस्त 2016

सावण आयो सायबा

सावण आयो सायबा, दूर देश मत जाय ! तन भीज्यो बरसात में, मन में लागी लाय !! सावण घणो सुहावणो, हरियो भरियो रूप ! निरखूं म्हारो सायबो, सावण घणो कुरूप !! साजन उभा सामने, निरखे धण रो रूप ! बादलियाँ रे बीच में, मधुरी मधुरी धूप !! रसियां को मन चकरी करतो, घाघरियै को घेर। एक बीनी छप्पन छैला, नाच नचावै फेर।। छलकै जोबन अंग अंग सै, संग चंग की थाप। गींदड़ घलै नंगारो बाजै, मुख सै फूटै राग।। अलमस्ती कै आलम में, मदमस्ती की परिपाटी। जुलमी सावन बड़ो रंगीलो, वाह भाई राजस्थान री धरती ।।

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