बुधवार, 3 अगस्त 2016

गांव

म्हारौ गाम सबसूं न्यारौ, न्यारी ईंरी बातां। सुखी मिनखां रा दिन कटै, ऊजळी कटै रातां।। कच्ची गळियां कच्चा मकान, कच्ची बां’री छातङी। पक्को लो’रौ गेट लगागे, कच्ची राखी भींतङी।। ठाण तूङी भर्‌या पङ्या, नीरै भर्‌यौ बोरो। घी दूध रा टोकण भर्‌या, मोकळा खावो छोरो।। छाबै मे’ली रोटङी, थाळी घाल्यौ भात। मार पालथी जीमै ‘, के तो बां’री बात।। ऊंचो टिब्बो कोरी रेत, हाळी मांडी झूंपङी। दे हलकारा चीङी उडावै, भाजै डरगे लूंकङी।। बाजरै गी रोटी सागै, खावै काचर गी सब्जी। पेट साफ रेवै निरोगो, करै दूर आ कब्जी।। बाजरी गो आटो लेगै, बणाऔ खाटै री राबङी। खाओ मजै सूं पेट भरगे, मुंह दुखै ना जाबङी।। चुल्है रोटी पोवै माऊ, छोरौ खेलै पास। मार्‌यौ मुंह परात में, धोळी होगी नास।। मुंडेरां बैठ्यो कागलो, बोलै मीठी बाणी। पीव म्हारा परदेस बसै, बोली लागै खाणी।

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