राम राम सा
"ढून्ड जाप,,
"हरि हरि रे हरिया वेल,
"डावे कवले चम्पा वेल।
कोकड़ माय जाड़ बूट,
इण घर इतरा घोड़ा ऊंट।।
"इण घर इतरी गायों भैयों,
इण घर इतरी टोगडियों।
इण घर जाया लाडल पुत,
छोटी कुलड़ी चमक चणा।।
"ढून्ड जाप,,
"हरि हरि रे हरिया वेल,
"डावे कवले चम्पा वेल।
कोकड़ माय जाड़ बूट,
इण घर इतरा घोड़ा ऊंट।।
"इण घर इतरी गायों भैयों,
इण घर इतरी टोगडियों।
इण घर जाया लाडल पुत,
छोटी कुलड़ी चमक चणा।।
"डावे हाथ लपुकों ले,
जीमणे हाथ चंवर ढोलाव।
"ज्यों ज्यों चम्पो लेहरों ले,
डावे हाथ लेहरियों ले।।
जीमणे हाथ चंवर ढोलाव।
"ज्यों ज्यों चम्पो लेहरों ले,
डावे हाथ लेहरियों ले।।
"सात हवाणी जणा पच्चास,
गेरीयो रो पूरो हास।
"घर धणयोंणी बारे आव,
गुडरी भेली लेती आव।।
गेरीयो रो पूरो हास।
"घर धणयोंणी बारे आव,
गुडरी भेली लेती आव।।
"साकलियों रो डालो लाव,
"गेरीयों री आस पुराव।
"गेरिया आया थारे द्वार,
हरि हरि रे हरिया वेल।।
"डावे कवले चम्पा वेल
"ज्यों-ज्यों वेल बढती जाय
"ज्यों-ज्यों बालक बढतौ जाय ।
हो........हो........हो
"गेरीयों री आस पुराव।
"गेरिया आया थारे द्वार,
हरि हरि रे हरिया वेल।।
"डावे कवले चम्पा वेल
"ज्यों-ज्यों वेल बढती जाय
"ज्यों-ज्यों बालक बढतौ जाय ।
हो........हो........हो
ढूंढ़ जाप
बालक की पहली ढूंढ़ पर गेरियों द्वारा गाया जाने वाला जाप है । ये हमारी हजारो साल पुराणी संस्कृति और उल्लास का प्रतीक है ।
बालक की पहली ढूंढ़ पर गेरियों द्वारा गाया जाने वाला जाप है । ये हमारी हजारो साल पुराणी संस्कृति और उल्लास का प्रतीक है ।
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