।। राम राम सा ।।
मित्रो ईण लारला बीस पच्चीस बरसो मे औपौणी आन्जना समाज परदेश मे जायँ ने चौखी प्रगती करी है ईण बात रो तो बड़ो गर्व है। पण ईण प्रगती रे साथ साथ खासा जणा अफीम व अन्य नशा रो सेवन कर वा लाग गया है आ बात समाज रे लिये चौखी नी है । पेहला री टैम अलग ही आज टैम दुजी है । जिण समय समाज रा कम जणा ही कदैक ही ईण रो सेवन सरू करियौ थो उण समय गुरु महाराज ने समाज रे प्रति भारी चिन्ता हुई और वे अफीम सेवन रे बाबत समाज ने समझावण रो भरसक प्रयत्न करयौ हो। और आ बात किताबा मे खुली लिखियोड़ी है । सब ने ही ध्योन ही है । आज रे जमाना मे अफीम डोडा रो सेवन रो कदेई मना कर दो तो लोग तो औपोने मूर्ख ही कैवे । पुराणी टैम रे माँय इणरो इस्तेमाल दवाई मे हुवतो हो । एक दिन मे रति सूं ज्यादा कोई नी लेवता हा
पुराणी समय मे सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रो रे मायं जन्म, मृत्यु, शादी-ब्याह जैड़ी रस्मों रे मौके पर अफीम की मनुहार री तो सदा परंपरा थी और आज भी है थोडो फरक जरुर हुयौ है।
लेकिन लारला कुछ समय रे माय परिवर्तन हुग्यो युवाओं ने आपरी कामशक्ति बढ़ावण रे खातिर बड़े पैमाने माथे ईण रो उपयोग शुरू कर दियों है ।लोग अफीम रो तो सिर्फ नोम है नकली कादौ खा रिया है । ऊमर औसी करण रे अलावा और की नही है । आज छोटी छोटी ऊमर रा भाइड़ा कादौ खायर डौकरा लागण लागा है ।बीस बरस रो जवाण भी अस्सी बरस रा डौकरो रे भैला जाय ने हतालिया छाटण ढुकगा ।
ईण लारला बीस दिना ताईं हूं गाँव गियो हो आज पाछौ जाऊं हु अकेलौ रेलगाड़ी मे बैठो बैठो दो तीन शब्द लिखअर टैम पास करुँ।गाँव मे ईण बार दो तीन जागरण सभा व नया गृह प्रवेश नयी दुकान व शौक सभा मे भी ग्यो हो पण एक ही बात समझ आई की जिण जग्या ओ नी हो तो ईण रे बिना सब कुछ सूनो सूनो ही हो जठै हो भिड़ भाड़ भी खूब ही । एक जग्या नयी दुकान रो होम करवायौ हो । मनुहार करता करता गुणेशजी मारे तौई पूगा। वाटकी सूं चम्मच भर ने म्हारे सामी करियौ और म्हें भी बिना समय गंंमायाँ लेवण ने दोनु हाथ आगे कर दिया हा । तो वे दो बार म्हारे मुण्डा सामी देख्यो और थोड़ा मुलकण लागा जणा बात म्हारे समझ आई के जिणने मूं चरणामत समझ दौनु हाथ आगे करिया हा वो तो वाट्के मे माल दुजो हो । हाथ जोड़ने वन्दन करि। पुराणे समय मे माल चौखो आवतौ हो एक गाँव मे कम जणा ही लेवता हा कम कम ही लेवता जणा निभ जावतो हो
पुराणी समय मे म्हारे दादोजी केवता हा के अफीम रो नसो अलग तरीका हु आवतो हो वो माल अलग हो
नसा रा आंणंद नै बिना नसा वाळौ कांई जाणै घर वाळा सगळा भला ई फोड़ा भुगतै पण नसा बाज तौ हमेसां ई मौज करैला।
नसा रे में सबसूं उपरै जो नशो है वो अमल रौ है । राजा नसौ, इणरो नशो आवे जणा तकलीफ री ठाह पड़ै नीं, पीड री ठाह पड़ै नीं अर दुख दरद री ठाह पडै नीं। ऊगण री ठाह पड़ै नीं। उणरी भूख कदै ई मिटै नीं अर वौ धापै पण कदै ई नीं
म्हारे दादोजी कदैई कदैई कैवता हा है कि अचेत अर अमलदार अेक सरीखा व्है । अैड़ा एड़ा मौठा चौधरी अमलदार हा । वो बैटी जांणनै वै आपरी लूगाई रै माथै कई वळा हाथ फेर देवता। नखां री ठौड केई बार मूछ्या कतर लेवता। माथा री ठौड पगां माथै साफौ बांधौ लेवता। अर माथा माथै पगरखियां धर लेवता । आंख्या रो ठोड़ दांतां में काजल डाल लेवता । वै अमलदार चौधरी अैड़ा परमहंस हां, तौ ई वै आप सूं वतौ सावचेत इण दुनिया में किणी नै नीं गिणता।
अमलदार बैठा बैठा ही वातो तो घणी करे पण काम नी करे।
एक गाँव रा ठाकर सा पूरौ अमल जमायनै बैठा हा जणा बैठा-बैठा ईं जचगी के दिल्ली फतै करणी। बस, जचता, ईं वै तौ दिल्ली फतै करण सारू उभा व्हिया। नाळ सूं दौ अेक पगोतिया नीचे उतरिया के डील आपा में नीं रह्यौ। डावै कांनी डिगिया अर धड़ांम सूं नीचै। दिल्ली तौ हांकरता फतै व्हैगी। पण ठाकर धड़ाम री आवाज सुणी तौ हाजरिया सूं हेलौ मारियौं, हाजरीया, कोई टाबर हेटै पड़ग्यौ, जल्दी उठावौ। म्हैं पड़णा रौ धमीड़ौ सुण लियौ, पण थारै कानां तौ जांणै डूंजा घाल्योड़ा है। म्हैं सावचेती नीं राखूं तौ सगला टाबर पड़ पड़नै मर जावैला। दौड़ौ दौड़ौ, देखे उणरै लागी तौ नीं ? ठाकर सा रौ हाकौ सुणनै हाजरियां दौड़ता आया। देख्यौ ठाकर खुद हीं तौ जमीं माथै गुड़ियोड़ा मौज करै। हाजरियां टांगा टौळी, कर ठाकरा ने उठायौ तौ वै कह्यौं-हौळै-हौळै, टाबर नै साव हौले उठाज्यौं। आ तौ म्हैं सावचेती राखी। म्हैं अेकलौ जीव कठी कठी ध्यांन राखूं। म्हैं तौ अबै दिल्ली फतै करण सारू जांवू, थें टाबर रौ पूरौं ध्यान राखजौ। म्हनै बतावों तौ खरी दुस्टियो के कुण हेटै पड़ियौ। छोटकियां राजकुमार तौ कठै ई नीं पड़ग्यौ ? हाजरियौं कह्यौं-हुकुम, अै तौ आप ई हेटै पड़िया। ठाकर झिझकनै पूछ्यौ-कांई कह्यौं, म्हैं खुद हेटै पड़ग्यौं। पछै वे जोर सूं अरड़ाटौ मैलियौ-जद तो म्हैं, मरग्यौ, रै मरग्यौं रै। अबै म्है दिल्ली री कीकर फतै करूंला।
ईण भांत आजकल रा मिनख खेत वो या दुकान लोग घरे बैठा बैठा ही खेती करे और व्यापार भी कर लेवे
गुमना राम पटेल सिनली
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