आज जीवन बचाने के लिए शहरों से गांवों की ओर भाग रहे दिहाड़ी मजदूरों की जो तस्वीर सामने आ रही हैं वह दरिद्र भारत का सबसे भयानक चेहरा है। ये तस्वीरें 70 सालों के हमारे विकास के दावों की विफल कहानियां भी हैं। क्या सरकारों में ऐसा कोई है जो सड़कों से आ रहे गरीब मजदूरो के इन संकेतों को समझ सके
जब ये कोरोना देशी-विदेशी काँधे पर बैठकर भारत में भी घुस आया. तब काश ! जनवरी की शुरुआत में ही सारे अन्तर्राष्ट्रिय एयरपोर्ट व ‘बॉडर’ पर ही एक महीने का ‘लॉकआउट’ हो जाता तो पुरे देश को आज ये दिन देखना नही पड़ता
शनिवार, 28 मार्च 2020
शहरो से गाँवों की और भागते मजदूर
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