राम राम सा
सियाले री भयंकर ठंड में बाजरे का खींच देशी घी ओर गुड़ के साथ खाने को मिल जाए तो क्या कहना मित्रों।मारवाड़ी खाने की कोई बराबरी नहीं है।पहले हमारी माताओं को घटी में पिसकर परिवार का पेट भरना पड़ता था ओर ज्यादा पिसना पड़ता इसलिए घर में बाजरे का खींच अमूमन बनता था।आजकल चक्की में आटा पिसा जाता है जिससे अनाज का असली तत्व जल जाता है परन्तु बाजरे के खींच को बस कूटकर बनाया जाता है जिससे उसके सम्पूर्ण तत्व बने रहते हैं।पुराने जमाने के लोग आज भी बहुत हष्ट पुष्ट है क्योंकि उनका खान पान बहुत शुध्द और देशी था। आजकल के लोग इसका उपयोग कम करते है । कमजोरी सामने ही दिख रही है
गुरुवार, 12 मार्च 2020
बाजरी री रो खींस और देशी घी
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