शनिवार, 28 मार्च 2020

महानगरो की खस्ती हालत

।। राम राम सा ।।
जब सरकार कह रही है कि सौसल डिस्टेंसिंग रखो  तो महानगरो मे मुंबई बेंगलोर पुणे सुरत दिल्ली  अहमदाबाद रहने वाले फेक्ट्रीयो मे काम करने वाले दिहाड़ी  लोगो को आपने देखा ही होगा की इन स्लम बस्तियो मे 8×10 मे आठ-नौ आदमी रहते है  सार्वजनिक शोषालयो का उपयोग करते है भोजनालयों मे खाना खाते है जिस बस्ती मे रहते है भिड़ भरा इलाका रहता पानी के लिये भिड़  रहती है । आज भोजनालय बन्द हो चुके है ।सार्वजनिक शौषालय संचालक जमिन्दोज  हो गये है  लोग इस भिड़ से मुक्त होकर अपने गृह राज्यों मे जाना चाहते है ।मजदूर डरे हुये है ।  समय रहते सरकार को स्वास्थय परिक्षण करवाकर भिड़ को कम करने का काम शुरु करना चाहिये अन्यथा जिस तरह से महानगरो से लोग बैबसी के साथ पैदल ही पलायन कर रहे है वो वापस शहरो मे आने की सात बार सोचेन्गे आज देश के सभी महानगरों से  जगह जगह से लोग गाँव के लिये पैदल चल पड़े है । पुलिस को पैसा दो या फिर डण्डे खाओ । स्वास्थय परिक्षण की कही पर व्यवस्था नही दिखती नजर आ रही है । सरकार अमीरो को बचाने के लिये हवाईजहाज द्वारा  विदेशो से लोगो को ला रही है लेकिन गरीबो के लिये बसे उपलब्ध नहीं है ।लेकिन सरकार और अमीर ये कभी ना भूले ले कि बिना मजदूरो के वापस फेक्ट्रीया पुनः चालू नही हो पायेगी समय रहते महानगरो के स्लम ऐरियो से इन मजदूर प्रवासियों का सवास्थ्य परिक्षण कर वा कर अपने अपने गृह राज्यों मे भेजना चाहिये।
सवाल यह है कि नेता  रोज  लाइव और टीवी पर आकर दावा कर रहे हैं कि हम लाखौ लोगों को रोज खाना खिला रहे हैं, हम उनके रहने का इंतजाम कर रहे हैं, हम कोशिश कर रहे हैं कि वो बाहर न जाएं। ये सब खौखली बाते लग रही है ।
पर जब पलायन करते मजदूरों की बातो से तो यही लग रहा है ये सब झूठ है  तो वो बता रहे हैं कोई इंतजाम नही है, ऐसे में हम किसी भी तरह अपने घर पहुंचना चाहते हैं।

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