शनिवार, 14 मार्च 2020

शिलम रो शौकीन मोहन झाला

"शिलम,,
मित्रो हमे  कुछ दोस्त ऐसे भी बनाने होन्गे जो बुढापे में साथ बैठकर जिंदगी को हसीन बनाते हो। बेसक नशा शरीर के लिए हानिकारक है पर इनके जैसी दोस्ती ना मिले तो भी नुकसानदायक ही है जिंदगी के लिए। पहले हर घर में एक कच्ची चौकी होती थी एक फीट ऊंची ओर बीच में एक आग जलाने के लिए कुण्ड जिस पर सुबह शाम गाँव के साथी तप तापते ओर आपस में बाते करते थे। कुछ समय तक इन चौकियों पर रेडियो की चौपाल(धनजी-भोलजी) भी खूब सुनी जाती थी। पर वक्त ने सब तबाह कर दिया वो प्रेम भाव। TV और मोबाइल ने वो सब नजारे खत्म कर दिये ओर अब हम एक साथ बैठ कर भी सोशल मीडिया पर दूसरों से बाते करते हैं ना की पास बैठे साथी से। सोचिये जरा हमने कितना कुछ खो दिया इस मोबाइल को पाकर अब हमारे पास कुछ नही है ।

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