।। राम राम सा ।।
मित्रो कोरोना की महामारी के भय से अपनो से दूर काम पर गये हुये प्रवासी मजदूरों ने भय से 15 मार्च से ही पलायन शुरु कर दिया था कुछ लोग तो अपने घर पहुंच गये लेकिन जो लोग 20 मार्च के बाद मे तमिलनाडु कर्नाटक हैदराबाद मुम्बई गुजरात कैरल सूरत, से निकले थे जिसकी डाइरेक्ट ट्रेन थी वो तो पंहुच गये लेकिन जो वहाँ से मुंबई ,अहमदाबाद , पूना , सुरत , तक आये और बाद मे ट्रेनों व बसो का आवागमन बन्द हो गया था कुछ लोग जैसे तैसे बसो मे पडकर गये है बाकी के लोग आधे रस्ते मे फस गये । राजस्थान गुजरात बोर्डर को भी बन्द कर दिया गया है । ना तो राजस्थान पुलिस आने दे रही है । इसलिये कुछ लोग पैदल भी चलकर ईधर उधर गये किसी किसी के पास पैसा भी नही है । हर जगह होटले बन्द है । उनको खाना पानी की भी व्यवस्था भी नही है ।जो दिहाड़ी मजदूर फेक्ट्रीयो मे काम करने के बाद जिस भोजनालयों मे सुबह शाम खाना खाते थे वो भोजनालय भी बन्द करवा दिये गये है । अब प्रवासी लोग कहाँ जाये ?
मुंबई सुरत बड़ौदा अहमदाबाद की फेक्ट्रीया बन्द होने के बाद ये मजदूर अब जाये तो कहाँ जाये । इस लिए वे सभी जैसे तेसे निकल निकल कर अपने अपने गांव जाना चाहते है ।
मै सभी पार्टियो के नेताओ विधायको सांसदो से अपील करता हुँ की उन लोगों की जांच करवाकर जो संक्रमित नहीं है उन्हें उनके गांव पहुंचने की व्यवस्था करवाएं , अगर देश के बाहर विदेशो से लोगो को भारत मे वापस लाने की व्यवस्था है तो फिर इन गरीब मजदूरों को उनके गांव पहुँचाने की व्यवस्था क्यो नहीं की जा रही है । सिर्फ ये सुविधाएँ विदेशो मे पढने वाले छात्र अमिरो घरानो के व नेताओ के पुत्रों के लिये ही है क्या?
इन नेताओ को सिर्फ चुनावो के समय वोटो के लिये ही प्रवासी लोगो जरुरत होती है जो आने जाने की सुविधा करवा देते हो ।
अब नेता घर पर बैठे बैठे आदेश दे रहे जहाँ हो वहाँ रहो ! जो जहाँ है वो तो ठीक है लेकिन जो पहले से आधे रास्ते मे निकले थे उनका क्या होगा ?
कोई बेंगलोर,पूना, मुम्बई, अहमदाबाद ,सुरत बरोडा के स्टेसनो पर बैठे है उनका क्या हाल होगा ? जो फेक्ट्रीयो दिहाड़ी मजदूरी करने के बाद जिस भोजनालयों मे खाना खाते थे वो सब बन्द हो गये है । एक दौ दिन तो जैसे तैसे निकाल देंगे ।
इसलिये नेताओँ से विनती है समय रहते इन सभी प्रवासियो की जाँस करवाकर उनको अपनी अपनी जगह पर पहुँचाने के लिये प्रयास करें ।क्योकि बड़े शहरो मे संक्रमण का खतरा भी ज्यादा होता है । भय का माहोल है ।
बुधवार, 25 मार्च 2020
राजस्थानी प्रवासियों का दर्द
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें