।। राम राम सा ।।
मित्रो लारला पच्चीसेक दिना सूँ इण विदेसो सूँ आई एक ला-ईलाज महामारी इणरौ प्रकोप ज्यादा ही बढण लाग रहयो है ।सांवरीया री लीला न्यारी है इणने प्रकृती उपजाई है और जिण ऊपाई वा ही प्रकृति पाछी पार पाड़ेला। आज ईण धरती माथै पाप घणौ वदैग्यौ, ने पुनःघट ग्यो। सन्त महात्मा कैवे है के पाप बडणा सूँ पाप रौ ठीकरौ एक दिन जरुर फुटे । ईण महामारी रौ नाम सुण अर एक पुराणी बात याद आयगी । आ बात म्हें म्हारे दादाजी बुधाराम जी रे मुख सूँ लगेटगे तीस बरस पैली सुनियोड़ी है। ऊणो आपरे पिताजी भोमाराम जी जो म्हारे पड़ दादा हा जिणा रे मुख सूँ सुणी ही। क्यो के ऐ दौनु बाता म्हारे दादाजी जनम पैला री ही ।उणारै कह्योड़ी दौ बातौ रौ थौड़ौ वर्णन आज लिख अर पेश करुँ एक तो विक्रम संवत 1956 रौ काल अर एक विक्रम संवत 1975 पिछहन्तरा री महामारी औपोरी भाषा मे धासती कैवता हाँ। इण दौनु बातौ ठाँ बुजुर्गा ने हो पण आजकाल मिनखां ने कम व्हेला। पेहला छप्पना काळ री बात बतावु छप्पनो काळ रे पैली रा दौ बरस कोई खास उपज नी हुई ही छ्प्पना काल मे आखी मारवाड़ मे छाँट नी पड़ी ही मारवाड़ रा लाखौ मिनख अर मवेशी भुखमरी सूँ मर ग्याँ।कैई मिनखौ खेजड़ीयौ अर निम्बड़ौ रा सौडा पिस पीस पेट री भूख बुजाई। कैई मिनखौ री न्होलियौ मे रुपया हा सोने अर चाँदी री मौरो ही अठी ऊठी लैने फिरिया पण उणानै अनाज नी मिलियो। अन्न री ईणभाँत कमी आयगी सोना री मौरौ दियो ही कोई अनाज देवण ने तैयार नी हो। मुन्गीवाड़ौ पण कम नी हो एक कळदार रुपया रा गेहूं 6सेर , बाजरी 6.5 सेर, जवार 8सेर, मूंग 4 सेर व घास 11 सेर हो ।मारवाड़ रा लाखौ मिनख भूख सूँ कमजोर होय अर मरगा। कैई मिनख ऐड़ा कमजोर पड़गा के ऊबा होवण बाबत पोळौ मे वळौ रे बदणीयौ बन्ध्यौड़ौ राखनौ पड़तौ। छप्पनिया काल रे ठीक 19 बरस बाद धासती रौ कहर ईण्ं भाँत आयो के विक्रम संवत ऊगणिसौ पिचन्तर जिणने पिचन्तरा री धासती कैवता हाँ। उण जमाना मे सफाखाना हा कौनी । बिमारी दौ साल ताई लारौ नी छौडियौ। बिमारी इण भाँत ही के लाखौ मिनख मर खुट्या लासौ रा ढिगला लाग ग्या गाँव रा गावँ खाली वैग्या । लासौ ने श्मसाण लै जावण ने मिनख नी हा । कैई गाँवों रे मिनखौ री लासौ गिरजड़ो ही खादी। पुराणी बातो तो मोखली है लाम्बी छोड़ी है ।
आज थौड़ी कोरोना री बात करणी है
आजकाल रे विज्ञान जुग मे इण भाँत जानलेवा ला-ईलाज बिमारी री बात म्हैं कदैई सपणे मे ही नी सोची ही । पण होणहार नै कोई टाळ नी सकें। आज इण कोरोना महामारी रौ नतिजो खौटो लागतों दिख रैयो है । ओ रौग इण भारत री भूमि माथै दौ एक महीणा रुद्र रुप धारण कर सके।
अगर आज सूँ लगेटगे सौ बरस पैली आ महामारी गाँव गाँव पहुंच गई थी जद कोई आवागमन रा साधन पण नी हा तो आज एक दुजै गाँव पौहसण ने की बगत नी लागेला ।
कैवे है के ओ रौग चीन सूँ शुरु होय अर विदेसी मारग होय ने औपौरे भारत मे आयौ। औ चीन झाड़ौ तो बिच्छु रौ ई नी जौणै ने साँप री पूँछ माथै पग धरे। बिमारी पैदा तो करदी पण खत्म नी कर सक्यौ।
अब इण बिमारी रौ एक ही इलाज है अनुशासन री औलखाण देवणी है । फालतू रा घर छोड़ अर रौवतौ नी फिरणौ है। एक दौ हफ्ता कारोबार बन्द रैवणा सूँ कोई फरक नी पड़े है । मिनख जमारौ अर जिन्दा मिनखा सूँ सब लारै है।
औपौनै मिनखपणा सूँ प्रसासन रौ साथ देवणौ है । बुजुर्गों री वातौ झुठी नी है कैवता हा सुखा रै भैळौ लिलौ ई बळै ।आज ईण सेन्सार मै अधर्मी घणा पैदा हुगा औ इण अधर्मीयो रौ नास हौवणा री वैला है । पल भर सुख रै खातर आज मिनख किण भाँत रा पापकर्म कर रैया है उणरौ नतिजौ है ।
गुमनाराम पटेल सिनली जोधपुर
मित्रो लारला पच्चीसेक दिना सूँ इण विदेसो सूँ आई एक ला-ईलाज महामारी इणरौ प्रकोप ज्यादा ही बढण लाग रहयो है ।सांवरीया री लीला न्यारी है इणने प्रकृती उपजाई है और जिण ऊपाई वा ही प्रकृति पाछी पार पाड़ेला। आज ईण धरती माथै पाप घणौ वदैग्यौ, ने पुनःघट ग्यो। सन्त महात्मा कैवे है के पाप बडणा सूँ पाप रौ ठीकरौ एक दिन जरुर फुटे । ईण महामारी रौ नाम सुण अर एक पुराणी बात याद आयगी । आ बात म्हें म्हारे दादाजी बुधाराम जी रे मुख सूँ लगेटगे तीस बरस पैली सुनियोड़ी है। ऊणो आपरे पिताजी भोमाराम जी जो म्हारे पड़ दादा हा जिणा रे मुख सूँ सुणी ही। क्यो के ऐ दौनु बाता म्हारे दादाजी जनम पैला री ही ।उणारै कह्योड़ी दौ बातौ रौ थौड़ौ वर्णन आज लिख अर पेश करुँ एक तो विक्रम संवत 1956 रौ काल अर एक विक्रम संवत 1975 पिछहन्तरा री महामारी औपोरी भाषा मे धासती कैवता हाँ। इण दौनु बातौ ठाँ बुजुर्गा ने हो पण आजकाल मिनखां ने कम व्हेला। पेहला छप्पना काळ री बात बतावु छप्पनो काळ रे पैली रा दौ बरस कोई खास उपज नी हुई ही छ्प्पना काल मे आखी मारवाड़ मे छाँट नी पड़ी ही मारवाड़ रा लाखौ मिनख अर मवेशी भुखमरी सूँ मर ग्याँ।कैई मिनखौ खेजड़ीयौ अर निम्बड़ौ रा सौडा पिस पीस पेट री भूख बुजाई। कैई मिनखौ री न्होलियौ मे रुपया हा सोने अर चाँदी री मौरो ही अठी ऊठी लैने फिरिया पण उणानै अनाज नी मिलियो। अन्न री ईणभाँत कमी आयगी सोना री मौरौ दियो ही कोई अनाज देवण ने तैयार नी हो। मुन्गीवाड़ौ पण कम नी हो एक कळदार रुपया रा गेहूं 6सेर , बाजरी 6.5 सेर, जवार 8सेर, मूंग 4 सेर व घास 11 सेर हो ।मारवाड़ रा लाखौ मिनख भूख सूँ कमजोर होय अर मरगा। कैई मिनख ऐड़ा कमजोर पड़गा के ऊबा होवण बाबत पोळौ मे वळौ रे बदणीयौ बन्ध्यौड़ौ राखनौ पड़तौ। छप्पनिया काल रे ठीक 19 बरस बाद धासती रौ कहर ईण्ं भाँत आयो के विक्रम संवत ऊगणिसौ पिचन्तर जिणने पिचन्तरा री धासती कैवता हाँ। उण जमाना मे सफाखाना हा कौनी । बिमारी दौ साल ताई लारौ नी छौडियौ। बिमारी इण भाँत ही के लाखौ मिनख मर खुट्या लासौ रा ढिगला लाग ग्या गाँव रा गावँ खाली वैग्या । लासौ ने श्मसाण लै जावण ने मिनख नी हा । कैई गाँवों रे मिनखौ री लासौ गिरजड़ो ही खादी। पुराणी बातो तो मोखली है लाम्बी छोड़ी है ।
आज थौड़ी कोरोना री बात करणी है
आजकाल रे विज्ञान जुग मे इण भाँत जानलेवा ला-ईलाज बिमारी री बात म्हैं कदैई सपणे मे ही नी सोची ही । पण होणहार नै कोई टाळ नी सकें। आज इण कोरोना महामारी रौ नतिजो खौटो लागतों दिख रैयो है । ओ रौग इण भारत री भूमि माथै दौ एक महीणा रुद्र रुप धारण कर सके।
अगर आज सूँ लगेटगे सौ बरस पैली आ महामारी गाँव गाँव पहुंच गई थी जद कोई आवागमन रा साधन पण नी हा तो आज एक दुजै गाँव पौहसण ने की बगत नी लागेला ।
कैवे है के ओ रौग चीन सूँ शुरु होय अर विदेसी मारग होय ने औपौरे भारत मे आयौ। औ चीन झाड़ौ तो बिच्छु रौ ई नी जौणै ने साँप री पूँछ माथै पग धरे। बिमारी पैदा तो करदी पण खत्म नी कर सक्यौ।
अब इण बिमारी रौ एक ही इलाज है अनुशासन री औलखाण देवणी है । फालतू रा घर छोड़ अर रौवतौ नी फिरणौ है। एक दौ हफ्ता कारोबार बन्द रैवणा सूँ कोई फरक नी पड़े है । मिनख जमारौ अर जिन्दा मिनखा सूँ सब लारै है।
औपौनै मिनखपणा सूँ प्रसासन रौ साथ देवणौ है । बुजुर्गों री वातौ झुठी नी है कैवता हा सुखा रै भैळौ लिलौ ई बळै ।आज ईण सेन्सार मै अधर्मी घणा पैदा हुगा औ इण अधर्मीयो रौ नास हौवणा री वैला है । पल भर सुख रै खातर आज मिनख किण भाँत रा पापकर्म कर रैया है उणरौ नतिजौ है ।
गुमनाराम पटेल सिनली जोधपुर
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