राजस्थान के मारवाड़ अंचल में विवाह के समय ओर तीज त्योहार पर आंगन को गोबर से लीपकर उनमें रंगोलियां(मांडने) बनाई जाती है।जिन्हें स्थानीय भाषा में "चौक" कहा जाता है।ये चौक पूर्णतः रजमी(गेरूआ रंग पाउडर) ओर चूने के सफेद घोल से बनाते हैं। चौक शादी व होली के दिनो मे मान्ड़े जाते है जिस घर मे शादी हो या ढून्ड हो उनके घर पर चौक कोरे जाते है।इन्ही चौक पर बाजोट लगाकर विवाह की पाट बिठाने की रस्म निभाई जायेगी।यहाँ तक की होली पर नन्हे बालकों की ढूंढ के लिए भी चौक कोरे जाते है बाद में गेरिये(फाग पर चंग के साथ पुरूष नृत्यक) आंगन में नाचकर मिटाते है! हालांकि आजकल मारवाड़ की ये कला पक्के आंगनो के निर्माण की वजह से कम हो रही है।हमारी संस्कृति बहुत सुदृढ़ थी जिसे संरक्षण की अती आवश्यकता 

है इस युग में।
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