शनिवार, 14 मार्च 2020

माटी के कोठे

मित्रो आज हम जो अनाज संग्रह करते है उसमे हम प्लास्टिक के कट्टे का उपयोग करतेहै जो सही नही है आनाज मे कीड़े लग जाते है । पहले हमारे पूर्वज माठी के बने कोठो मे अनाज संग्रहहित करते थे ।  हम राजस्थानियों का अपनी माटी से लगाव कुछ ऐसा कि बचपन माटी में बितता है,रहने को मकान भी माटी के हे,उगाते माटी में ओर अन्न को रखते माटी में,पकाते माटी के बर्तन में है ओर यहाँ तक की खाते भी माटी के बर्तन में है।क्योंकि इंसान बना भी माटी का है ओर अंत भी माटी में होता है। प्लास्टिक के कट्टो में अन्नाज का संग्रह उचित नहीं है मित्रों पुराने तरीके वाकई कुदरत के बहुत करीब थे इसलिए आधुनिकता की आड़ में मिट्टी की कोठियों को तोड़े नहीं।अनाज का संग्रह इन्ही में करे ।


णदा

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