इकलक के दोलक कै (इ क लग के अर दोलग कै)।इजगर पूछै बिजगरा, कहा करत हो मिन्त। पड्या रहां हां धूल में, हरी करते है चिंत॥इज्जत की लहजत ही और हुवै है।इज्जत भरम की अर कमाई करम की।इन्दर की मा भी तिसाई ही रही।इन्नै पड़ै को कुवो, उन्नै पड़ै तो खाई।इब ताणी तो बेटी बाप कै ही है | हिंदी – अभी कुछ नहीँ बिगड़ा।इब ताणी तो बेटी बाप कै ही है।इब पछतायां के बणै द चिड़िया चुग गई खेत।इमरत तो रत्ती ही चोखो, झैर मण भी के काम को।इसी खाट इस्या ही पाया, इस रांड इस्या ही जाया।इसे परथावां का इसा ही गीत | हिंदी – जैसा विवाह वैसे ही गीत।इसो ई तेरो खाणू दाणूं, इसो ई तेरो काम कराणुं।इसो ई हरि गुण गायो, ईसो ई संख बजायो।इस्समी खाण का इसा ही हीरा, इसी भैण का इसा ही बीरा।ई की मा तो ई नै ही जायो | हिंदी – इसके बारे मेँ अनुमान नहीँ लगाया जा सकता।ईसरो रो परमेसरो।ईसानी बीसानी।उघाड़ै वारणै धाड़ नहीं, उजाड़ गांव में राड़ नहीं।उझल्या समदरा ना डटै।उठै का मुरदा उठै बलेगा, अठे का अठे | हिंदी – एक स्थान की वस्तु दूसरे स्थान पर अनुपयोगी है।उठो राणी, काढो बुहारी, आंगण आया, किरसन मुरारी।उणीं गांव में पीर उणी में सासरो।उतर भैंस मेरी बारी।उतारदी लोई, के करैगो कोई।उत्तम धरती मध्यम काया, उठो देव, जंगळ कूं आया।उत्तर पातर, मैँ मियाँ तू चाकर | हिंदी – उऋण होने मेँ संतोष का द्योतक है।उधार दियोड़ो आवै घर लेखै, नींतर हर लेखै ।उन्नाळै खाटु भळी सियाळे अजमेर। नागाणौ नितको भळो सावणं बिकानेर॥उललतै पालड़ै को कोई भी सीरी कोनी।उल्टी गत गोपाल की, गई सिटल्लु मांय।उल्टो चोर कोतवाल नै डांटै।उल्टो दिन बूझ कर कोनी लागै।उल्टो पाणी चीलां चढ़ै | हिंदी – अनहोनी की आशंका को व्यक्त करता है।ऊँखली मै सिर दे जिको धमका सै के डरै | हिंदी – कठिन काम करने के लिए तैयार हो जाने पर विपत्तियोँ से कैसा डरना।ऊँचे चढ़ चढ़ डोली डाकै, मरद नै थापै। राधो चेतो यूं कहै, थक्यां रहैगी आपै॥ऊँचै गड का ऊंचा कांगरा।ऊँचै चढ़ कर देखो, घर घर यो ही लेखो।ऊँचो नाग चढ़ै तर ओड़े, दिस पिछमांण बादला दौड़े।ऊँट कै मूं में जीरै सै के हुवै?ऊँट को पाद धरती को न आकास को।ऊँट को रोग रैबारी जाणै।ऊँट खो ज्याय तो टोपली उतार लिये।ऊँट चढ्या नै कुत्तो खाय।ऊँटां नै सुहाल्यां सै के होय।ऊं बात नै घोड़ा ई को नावड़ै ना।ऊंखली में सिर दे जिको धमकां सैं के डरै।ऊंट मिठाई इस्तरी, सोनो गहणो शाह। पांच चीज पिरथी सिरै, वाह बीकाणा वाह । हिंदी - काव्य पंक्तियां मरुधरा की ऐसी पांच विशिष्टताओं को उल्लेखित करती है जिनकी सराहना समूची दुनिया में हो रही है।ऊंदरी को जायो बिल ही खोदै।ऊंधै ही अर बिछायो लाद्यो।ऊजड़ खेड़ा फिर बसै, निरधनियां धन होय। जबन गयो न बावड़ै मतना द्यो थे खोय॥ऊत गये की चिट्ठी आई, बांचै जीनै राम दुहाई।ऊत गयो दक्खन, उठे का ल्यायो लक्खन।ऊत गांव में अरंड ही रूंख।ऊत गांव में कुम्हारा ही महतो।ऊतां कै के सींग होय है।ऊदलती का किस दायजा?ऊन'रै को जायेड़ो बिल ही खोदै ।ऊपर तो लहर्यो पण नीचे के पहर्यो।ऊपर राम चढ्यो देखै है।ऊबर बागा, घर में नागा।ऊबो मूतै सूत्यो खाय, जैंको दालद कदे न जाय।ऊमस कर घृत माढ गमावे, झांड कीड़ी बहार लावे | नीर बिनां चिडियां रज न्हावै, तो मेह बरसे धर मांह न मावै।ऊलै गैले चालै, खत्ता खाय।एक आंख को के मीचै के खोलै।एक आदर्यो हाथ लग ज्याय पछै तो करसो राजी।एक ई बेल का तूमड़ा है।एक करोट की रोटी बल उठै।एक कांजी को टोपो दूध की भरी झाकरी नै बिगाड़ दे।एक कांणू एक खोड़ो, राम मिलायो जोडो।एक घर तो डाकण ही टालै है।एक घर में बहुमता र जड़ां मूल सै जाय।एक चणो दो दाल।एक जणैं की हलाई डोर हालै।एक जाड़ खाय, एक जाड़ तरसै।एक टके की ठुकराणी, बैठी ठाली खाय । लाख टकां की जाटणी, पालो काटण जाय ।।एक टको मेरी गांठी, मगद खांऊं क मांठी।एक दिन पावणूं, दूजै दिन अनखावणो, तीजै दिन बाप को मुंघावणूं।एक नन्नो सो दुख हड़ै।एक पग उठावै अर दूसरै की आस कोनी।एक पती बिन पाव रती।एक पहिये सैं गाड़ी कौन्या चालै।एक पीसा की पैदा नहीं, र घडी की फुरसत नहीं।एक पैड वाली कोन्यार बाबा तिसाई।एक बांदरी कै रूस्यां के अयोध्यां खाली हो ज्यासी।एक बार योगी, दो बार भोगी, तीन बार रोगी।एक भेड़ कुवै में पड़ै तो सै जा पड़ै।एक म्यान में दो तलवार कोनी खटावै।एक रती बिन पाव रती को।एक लरड़ी तूगी जद के हुयो।एक सैं दो भला।एक सो एक अर दो सो दो।एक हल हत्या, दो हल काज, तीन हल खेती, च्यार हल राज।एक हाथ मैँ घोड़ो एक मैँ गधो है | हिंदी – भलाई-बुराई का साथ-साथ रहना।एक हाथ लील में, एक हाथ कसूमा में।एक हाथ सै ताली कोनी बाजै।एकली लकड़ी ना जलैर नाय उजालो होय।ऐ घर घोड़ी आपणा, बा छी बीकानेर। घास घणेरो घालस्यां, बांणू द्यूं ना सेर॥ऐ विधनारा अंक, राई घटै न राजिया।ऐँ बाई नै घर घणा | हिंदी – योग्य व्यक्ति हर जगह आदर पाता है।ऐरण की चोरी करी, कर्यो सुई को दान। ऊपर चढ़ कर देखण लाग्यो, कद आवै बीमाण॥ऐसा को तैसा मिल्या, बामण को नाई। बो दीना आसकां, बो आरसी दिखाई॥ओ क्यां टो टाबर ? खाय बराबर।ओ ही काल को पड़बो, ओ ही बाप को मरबो | हिंदी – कठिनाईयाँ एक साथ आती हैँ।ओई पूत पटेलां में, ओई गोबर भारा में।ओगड़ बेटो क्यांसू मोटो, लावो गिणै न टोटो।ओछा की प्रीत कटारी को मरबो | हिंदी – ओछा अर्थात् निकृष्ट का साथ तथा कटारी से मरना दोनोँ ही एक समान हैँ।ओछी गोडी ने सकड़, बहै उलाला बग्ग। बो ओठी बो करल हो, आयण होय अलग्ग॥ओछी पूंजी घणै नै खाय।ओछी पोटी में मोटी बात कोनी खटावै।ओछै की प्रीत, बालू की सी भींत।ओछै की मातैगगी, चाकी मांलो बास।ओछो बोरो, गोदो को छोरो, बिना मुरै की सांड, नातै की रांड कदेई न्ह्याल कोनी करै।ओडी भली न टोडी भली, खुल्लै केंसा नार।ओस चाट्यां कसो पेट भरै।ओसर चूकी डूमणी, गावै आलपताल।ओसर चूक्या नै मोसर नहीं मिलै।ओसर चूक्यां नै मौसर नहीँ मिलै | हिंदी – चूक होने पर अवसर नहीँ मिलता।ओसां सै घड़ियो कोनी भरै।औ और तो नार पड़्यो है पण काम में डबको।और राड्या राड कराँ, ठाला बैठ्या के कराँ।और सदा सूतो भलो ऊभो भणो असाढ़।और सब सांग आ ज्मायं, बोरै वालो सांग कोन्या आवै।और सब सांग आ ज्यायं, बोरै वालो सांग कोन्या आवै |
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