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क ख ग घ ड़, काको खोटा क्यों घडै ।कंगाल छैल गाँव नै भारी | हिंदी – गरीब शौकीन व्यक्ति गाँव पर भारी पड़ता है।कंवरजी म्हैलां से उतर्या, भोड़ल को भलको।कंवारा का के न्यारा गांव बसै है।कक्कै को फूट्यो आंक ई को आवै अरनाम विद्याधर।कटे तो काऊ का, सीखे तो नाऊ का।कठे राजा भोज, कठे गांगलो तेली।कठे राम राम, कठे ट्यां ट्यां!कड़वी बेल की कड़वी तुमड़ी, अड़सठ तीरथ न्हाई। गंगा न्हाई, गोमती न्हाई, मिटी नहीं कड़वाई।कण कण भीतर रामजी, ज्यूं चकमक में आग।कद नटणी बांस चढै, कद भोजन पावै।कद राजा आवै, कद दाल दलूं।कदे गधो गूण पर, कदे गूण गधा पर।कदे घई घणा, कदे मूठी चणा।कदे न घोड़ा ही सिया, कदे न खीँच्या तंग। कदे न रांड्या रण चढ्या, कदे न बाजी जंग॥ हिंदी – कायर पुरुष कभी भी साहसपूर्ण कार्य नहीँ कर सकता।कदे नाव गाडी पर, कदे गाडी नाव पर।कनकड़ा दोन्यू दीन बिगाड़्यो | हिंदी – निकृष्ट साधु दोनोँ ही धर्महीन हो जाते हैँ।कनफडा दोन्यू हीन बिगाड्या।कपड़ा फाट गरीबी आई, जूती टूटी चाल गमाई।कपूत जायो भलो न आयो।कपूत हूँ नपूत भलो ।कबित सोवै भाट नै, खेती सोवै जाट नै।कबूतर नै कुवो ही दीखै | हिंदी – प्रत्येक व्यक्ति को स्वार्थपरक लक्ष्य ही दिखाई देता है।कबूतर नै कुवो ही दीखै।कम खालेणा पण कम कायदे नहीं रहणा।कमजरो गुस्सा ज्यादा, ऐई मारा खाणै का रादा।कमजोर की लुगाई, सबकी भौजाई।कमजोर को हिमायती हारै।कमाई गैल समाई।कमाऊ आवै डरतो, निखटू आवै लड़तो | हिंदी – कमाने वाला डरता हुआ तथा निकम्मा व्यक्ति लड़ता हुआ आता है।कमाऊड़ै नै घी, खाऊड़ै नै दुर छी! हिंदी - कमाने वाले का सर्वत्र सम्मान होता है और उड़ाने वाले को सभी अवज्ञा की नजर से देखते हैं।कमावै थोड़ो खरचै घणूं, पैलो मूरख उणनै गिणूँ।कमावै धोती हाला, खा ज्याय टोपी हाला।कमेड़ी बाज नै कोनी जीतै | हिंदी – कमजोर बलवान से नहीँ जीत सकता।कर ये महती मालपुआ, बो लेसी हुया हुया।कर रै बेटा फाटको, खड्यो पी दूध को बाटको ।कर ले सो काम, भज ले सो राम ।करड़ी बाँघै पगड़ी घुरड़ लिववै नक्ख। करड़ी पैरे मोचड़ी, अणसरज्या ही दुक्ख॥करणी जिसी भरणी।करणी पार उतरणी।करणी भोगै आपकी, के बेटो के बाप।करन्ता सो भोगन्ता खोदन्ता सो पड़न्ता।करम कमेड़ी को सो, मन राजा को सो।करम फूटया नै भाग फूट्या ही मिलै।करम में घोड़ी लिखी, खोल कुण ले ज्याय?करम में लिख्या कंकर तो के करै शिवशंकर?करम लिखा कंकर तो के करै शिव शंकर ।करमहीण किसनियो, जान कठै सूं जाय । करमां लिखी खीचड़ी, घी कठै सूं खाय ।।करमहीण खेती करे, के हळ भागे के बळद मरे ।करमहीन खेती कैर, के काल पडै के बलद मरै।करैगो टहल तो पावैगो महल।करैगो सेवा तो पावैगो मेवा।कर्क मैद को के भाव? कै चोट जाणिये।कर्म की सगलै बाजै है।कल सूं कल दबै है।कलह कलासै पैँडे को पाणी नासै | हिंदी – घर मेँ क्लेश होने पर परीँडे का पानी भी नष्ट हो जाता है।कसम मरे को धोखो कोनी, सुपनू सांचो होणूं चाये।कसाई कै दाणै नै बकरी थोड़ी ही खा सकै है?कसो हाक मार्यां कूवो खुदै है।कांई गोडियो कैवै अर कांई पूंगी कैवे।कांट कटीली झाखडी लागै मीठा बोर।कांटे सै कांटो नीसरै।कांदा खाय कमधजां, घी खायो गोलांह। चुरू चाली ठाकरां, बाजंतै ढोलांह॥कांदे वाला छिलका है, ऊंची दे जितणी ही बास आवै | हिंदी – बुराई को जितने पास से देखोगे उतनी ही अधिक बुराई दिखाई देगी।कांधियो थोड़ा ई बलै है।कांधे पर छोरो, गांव में ढिंढोरो।काकड़ी की चोरी अर मूकां की मार।काका खोखो पायो, कह, काका कै सागै तो ऐ है गैरा करैगी।काग कुहाड़ो नर, काटै ही काटै।काग पढ़ायो पींजरै, पढगो च्यारूं वेद, समझायो, समझ्यो नहीं, रह्यो ढेढ को ढेढ।कागलां की दुर्शीष ऊं ऊंट कोनी मरै ।कागलां कै काछड़ा होता तो उड़ता कोन्या दीखता? हिंदी – मनुष्य के गुण स्पष्ट दिखाई देते हैँ।कागलां कै सराप सूं ऊंट कोनी मरै।कागलो हंस, हाली सीखै हो सो आप हाली भी भूलगो।कागा किसका धन हरे, कोयल किसकूं देय। जभड़ल्यां के कारणै, जग अपनो कर लेय॥कागा कुत्ता कुमाणसा, तीन्यूं एक निकास। ज्यां ज्यां सेर्यां नीसरै, त्यां त्यां करे बिनास॥कागा हंस न गधा जती।काच कटोरो, नैण जल, मोती दूध अर मन्न।काच की भट्टा मांइ मांय धवै।काचो दूध खटाई फाड़ै, तातो दूद जमावै।काजल सै आंख भरी कोनी हुवै।काजी के मार्योड़ो हलाल होवै है।काटर कै हेज घणोँ |हिंदी – दूध न देने वाली गाय बछड़े से प्रेम प्रदर्शित करती है।काठ की हांडी दूसरां कोनी चढ़ै।काठ डूबै लोडा तिरै।काणती भाभी छाय घाल, घालस्यूं दहीं, तु सुप्यार भोत बोल्या ना।काणती भेड़ को न्यारो ही रयाड़ो/गवाड़ो | हिंदी – निकृष्ट व्यक्तियोँ को जब विशिष्ट लोगोँ मेँ स्थान नहीँ मिलता तो वे अपना संगठन अलग ही बना लेते हैँ।काणियां पांड्या राम राम। देखी रै तैरी ट्याम ट्याम॥काणी के ब्याह में सौ टेड ।काणी कै ब्या में सौ कोतिक।काणी कै ब्या मैं फेरां तांई खोट।काणी को काडल भी कोनी सुहावै।काणी छोरी तनै कुण ब्यावैगो, कह ना सरी, मैं मेरै भायां नै खिलाऊंगी।काणी भाभी पाणी प्याई, कै लक्खण तो दूधआळा है।काणूं खोड़ो कायरो, ऐंचताणूं होय।इण नै जद ही छोड़िये, हाथ घेसलो होय॥कातिक की छांट बुरी, बाणियां की नांट बुरी, भायां की आंट बुरी, राज की डांट बुरी।कातिक राज, कीर्तियां, मंगसिर हिरणियां, पोवां पारधी जोड़ा, काटी कटै न घोड़ा।काती कुत्ती माह बिलाई, फागण मर्द अर ब्याह लुगाई।काती रो मेह कटक बराबर है।काती सब साथी।कात्या जी का सूत, जाया जी का पूत।कादा नै छैड़ै, छाटां भरै।कान में कीटी अन्तर अर लगास्यूं।कानां ने मुंदरा होसी तो सै आपै आदेस कहसी।कानूड़ो कल में आयो, रात बड़ी दिन छोटा ल्याओ।काम अर लाम को बैर है।काम करल्यो सो कामण कर्या।काम करै कोई, मोज उड़ावै कोई।काम का ना काज का ... ढाई मण अनाज का ।काम की माँ उरैसी, पूत की माँ परैसी | हिंदी – कर्मठ व्यक्ति सभी को अच्छा लगता है, अकर्मण्य किसी को अच्छा नहीँ लगता।काम तो करेङो ई भलो ।काम नै काम सीखावै।काम पड्यो जद सेठजी तमेलै चढ़गा।काम सर्यो जुग बीसर्यो, कुणबो बाराबाट।कामी कै साख नहीं, लोभी कै जात नहीं।काल कुसम्मै ना मरै, बामण बकरी ऊंट। ब मांगे बा फिर चरै, बो सूखा चाबै ठूंठ॥काल जाय पण कलंक नहीं जाय।काल बागड़ सैं नीपजै, बुरो बामण सै होय।काल मरी सासू, आज आयो आंसू।काला कनै बैठ्यां काला लागै | हिंदी – दुर्जन के संग से कलंक लगता ही है।काला रै तूं मलमल न्हाय, तेरी कालूंस कदै नहिं जाय।काली भली न कोड्याली।काली हांडी कनै बैठ्यां कालूस लागै।कालै कै कालो नहीं जामै तो कोड्यालो तो जरूर ही जामै।कालै गाबा को कालो दाग कोई कोनी देखै।कालो आंक भैंस बराबर।कालो वै तो करवरो, घोलो वै तो सुगाल। जे चंदो निरमल हुवै तो पड़ै अचिन्तो काल॥काळी बहू अर जल्योड़ो दूध पीढ्याँ ताईं लजावै ।काळी हांडी रै कनै बैठयाँ काळस न सरी काट तो लाग्यां सरै ।काळो कै काळो न जलमे तो किल्ड काबरो जरुर जलमै ।किमै गुड़ ढीलो, किमैं बाणियूं ढीलो।कियां फिरै जाणै बिगड्योड़ै ब्याव में नाई फिरै ज्यूं।किरती एक जबूकड़ो, ओगन सह गलिया।किरपण कै दालद नही, ना सूरां कै सीस। दातारां कै धन नहीं, ना कायर कै रीस॥किसन करी सो लीली, म्है बाजां लंगवाड़ा।किसाक बाजा बजै, किसाक रंग लागै।कीड़ी नै कण, हाथ नै मण।कीड़ी पर के कटक?कीड़ी सचै तीतर खाय, पापी को धन परलै जाय।कुंदन जड़े न जड़ाव, जमे सलामत कीट। कहे जडिया सुण ले जगत, उड़े मेह की रीठ॥ हिंदी – यदि नगीने जड़ते समय कुंदा न लगे तथा सलाइयोँ पर कीट जमने लगे तो वर्षा की सम्भावना होगी।कुंभार रे घर में फूटी हांडी।कुए की मांटी कुए में लाग ज्या है।कुए मैँ पड़कर सूको कोई भी निकलै ना | हिंदी – जैसा कार्य वैसा फल।कुछ लख्या सो मन में राख।कुण सी बाड़ी को बथवो है।कुत्ता तेरी काण कै तेरै घणी की।कुत्तां कै पाड़ौस सै कसौ पैरो लाग्यो।कुत्ती क्यूं भुसै है, कै टुकड़ै खातर।कुत्तै की पूँछ बार बरस दबी रही पण जद निकली जद टेढ़ी की टेढ़ी।कुन्या फूले, तुल फले, वृश्चिक ल्यावै लाण।कुमाणस आयो भलो न जायो।कुम्हार की गधी, घर घर लदी।कुम्हार कुम्हारी नै तो कोनी जीतै, गधैड़ै का कान मरोड़ै।कुम्हार नै कह, गधै पर चढ़ जद तो को चढ़ै ना, पाछै आप चढ़ै।कुल बिना लाज ना, जूं बिना खाज ना।कुवै में पड़ कर सूको कोई बी नीकलै ना।कूआ सै कूओ कोनी मिलै, आदमी सै आदमी मिल जाय।कूण किसी कै आवै, दाणू पाणी ल्यावै।कूदिये ने कूवै खेलिये न जूवै।कूद्यो पेड़ खजरू सूं, राम करै सो होय।कूरा करास खाय, गेहूँ जीमै बाणिया।कूवो खोदे जैनै खाड त्यार है।के कुत्ती कै पाणई गाडो चालै है?के गीतड़ां से भींतड़ा।के गूजर को दायजो कै बकरी कै भेड़।के तो घोड़ो घोड्यां में के चोरां लियो लेय (के चोर लेईगा)।के तो फूड़ चालै कोनी अर चालै जद नो गांव की सीम फोड़ै।के नागी धोवै अर के नागी निचोवै।के फूँक सै पहाड़ उड़ै है?के बाड़ पर सोनूं सूकै है?के बेटी जेठ के स्हारै जाई है?के बेरो ऊँट के करोट बैठे?के मारै बादल को घाम, के मारै बैरी को जाम।के मारै सीरी को काम, कै मारे काटर की जाम।के मीयां मरगा, क रोजा घटगा।के मोड्यो बांधै पागड़ी, कै रहै उघाड़ी टाट।के रोऊं ऐ जणी! तूं आंगी दी न तणी।के सर्व सुहागण के फरहड़ रांड़।के सहरां, के डहरां।के सोवै बंबी को सांप, के सोवै जी के माई यन बाप।केले की सी कामड़ी होली की सी झल!केश वेश पाणी आकास नहीं चितेरो देखै आस।कै जागै जैंकै घर में सांप, कै जागै बेटी को बाप।कै जाणै भेड़ सुपारी सार।कै डूबै अररोला कै डूबै बोला।कै तो गैली पैरै कोनी अर पैंरे तो खोलै कोनी।कै तो पैल बलद चालै कोनी, र चालै तो सात गांवां की सींव फोड़ै।कै तो बावलो गांव जा कोन्या अर जा तो बावडै कोन्या।कै हंसा मोती चुगै कै लंघन कर ज्याय।कैं लड़ै लड़ाकडो कै लड़ै अणजाण।कैर को ठुंठ टूट ज्यागो, लुलैगो नहीं।कोई कै बैंगण बायला, कोई कै बैंगण पच्छ कोई कै बादी करै, कोई कै जाय जच्च।कोई को हाथ चालै तो कोई की जीभ चालै।कोई गावै होली का, कोई गावै दिवाली का।कोई भी मा का पैट से सीख कर कोनी आवै।कोई मानै न तानै, मैं तो लाडै की भुवा। (कोई मानै ना तानै ना, मैं लाडो की भुवा)कोई स्यान मस्त, कोई ध्यान मस्त, कोई हाल मस्त, कोई माल मस्त।कोडी कोडी करतां बी लंग लागै है।कोडी कोडी धन जुड़ै।कोडी चालै डौकरी, कैंका काडै खोज। काई थारो खो गयो पूछै राजा भोज॥कोयलां की दलाली में काला हाथ।कोस चाली कोन्या अर तिसाई।कौड़ी बिन कीमत नहीं सगा नॅ राखै साथ, हुवै जे नामों (रूपया) हाथ मैं बैरी बूझै बात।कौण सुणै किण नै कहूँ, सुणै तो समझौ नाहि।कहबो सुणबो समझबो, मन ही को मन मांहि॥क्यूं आंधो न्यूंतै, क्यूं दो बुलावै।क्यूं धो चीकणा, क्यूं कुंहाड़ो भूंठो।क्यूं लो खोटो, क्यूं लुहार खोटो।क्रितिका करे किरकिरो, रोहिणी काल सुकाल। थे मत आबो मृगशिरी हड़हड़ करती काल॥
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