अंधा की माखी राम उड़ावै। हिंदी - बेसहारे व्यक्ति का साथ भगवान देता है।अंधाधुंध की साहबी, घटाटोप को राज।अंबर कै थेगलीं कोनी लागै।अकल बिना ऊंट उभाणा फिरैं । हिन्दी – मूर्ख व्यक्ति साधन होते हुए भी उनका उपयोग नहीँ कर पाते।अक्कल उधारी कोनी मिलै। हिंदी - अकल उधार में प्राप्त नहीं होती |अक्कल कोई कै बाप की कोनी। हिंदी - अकल पर किसी का सर्वाधिकार नहीं है।अक्कल बड़ी के भैंस।अक्कल में खुदा पिछाणो।अक्खा रोहण बायरी, राखी सरबन न होय । पो ही मूल न होय तो, म्ही दूलन्ती जोय ।।अगम् बुद्धी बाणियो पिच्छम् बुद्धी जाट । तुर्त बुद्धी तुरकड़ो, बामण सपनपाट ।। हिंदी - बनिया घटना के आगे की सोचता है, जाट बादमें सोचता है, मुसलमान तुरंत निर्णय लेता है, परन्तु ब्राह्मण तो कुछ सोचता ही नहीं है |अगस्त ऊगा, मेह पूगा । हिंदी -अगस्त माह शुरू होते ही वर्षा पहुँच जाती है |अग्रे अग्रे ब्राह्मणा, नदी नाला बरजन्ते । हिंदी – ब्राह्मण सभी कामोँ मेँ आगे रहता है परन्तु खतरोँ के समय पीछे ही रहता है।अछूकाळ कादा में पीवै ।अजमेर को घालणिया नै चेरासाई त्यार है।अटक्यो बोरो उधार दे ।अठे किसा काचर खाय है।अठे गुड़ गीलो कोनी अथवा इसो गुड़ गीलो कोनी।अठे चाय जैंकी उठे बी चाय।अठे ही रेवड़ को रिवाड़ो, अठे ही भेड्या री घुरी।अणदेखी न नै दोख, बीनै गति न मोख। हिन्दी – निर्दोष पर दोष लगाने वाले की कहीँ गति नहीँ होती।अणमांग्या मोती मिलै, मांगी मिलै न भीख। हिंदी -बिना मांगे कीमती चीज मिल जाती है पर मांगने पर भीख भी नहीं मिलती है।अणमिले का सै जती हैं।अणसमझ को कुछ नहीं, समझदार की मौत।अणी चूकी धार मारी।अत पितवालो आदमी, सोए निद्रा घोर। अण पढ़िया आतम कही, मेघ आवै अति घोर । हिन्दी - अधिक पित्त प्रकृति का व्यक्ति यदि दिन मेँ भी अधिक सोए तो यह भारी वर्षा का सूचक है।अदपढ़ी विद्या धुवै चिन्त्या धुवे सरीर। हिंदी -अधूरे ज्ञान से चिंता बढती है और शरीर कमजोर होता है।अनहोणी होणी नहीं, होणी होय सो होय । हिंदी -जो नहीं होना है वह होगा नहीं और होने को टाल नहीं सकते है ।अनिर्यूं नाचै, अनिर्यूं कूदै, अनिर्यूं तोड़ै तान।अब तो बीरा तन्नै कैगो जिकोई मन्ने कैगो। हिंदी -जिसने तुझे बताया उसी ने मुझे बताया|अबे तबे का एक रूपैया, अठे कठे का आना बार।अभागियो टाबर त्युंहार नै रूसै । हिन्दी – सुअवसर से भी लाभ न उठा पाना।अमरो तो मैं मरतो देख्यो, भाजत देख्यो सूरो । चोधर तो मैं खुसती देखी, लाछ बुहारी कूडो ।। आगै हूँ पाछो भलो, नांव भलो लैटूरो ।।। (देखें - नाम में क्या रखा है)अम्बर कै थेगळी कोनी लागै । हिंदी -आकाश में पैच नहीं लगाया जा सकता |अम्बर राच्यो, मेह माच्यो | हिन्दी – आसमान का लाल होना वर्षा का सूचक है।अम्मर को तारो हाथ सै कोनी टूटै । हिन्दी– आकाश का तारा हाथ से नहीँ टूटता।अम्मर पीळो में सीळो । हिन्दी – आसमान का पीला होना वर्षा का सूचक है।अय्याँ ही रांडा रोळा करसी अर अय्याँ ही पावणा जिमबो करसी ।अय्यां ही रांड रोला करसी अर अय्यां ही पावणां जीमबो करसी।अरजन जसा ही फरजन । हिंदी - सब एक जैसे हैं |अरड़ावतां ऊँट लदै । हिंदी – दीन पुकार पर भी ध्यान न देना।अल्ला अल्ला खैर सल्ला ।असलेखा बूठां, बैदां घरे बधावणा । हिंदी - असलेखा नक्षत्र में वर्षा हो तो बैद-हकीमों के घर बधाई बँटे, मतलब रोग बढ़ते हैं ।असवार तो को थी ना पण ठाडां करदी - हिंदी - किस्सा यों है कि एक औरत को एक डाकू जबरदस्ती उठा कर ले जा रहा था. ऊँट तेजी से दोड़ रहा था. रास्ते में उस औरत का एक परिचित मिल गया. उसने पूछा, 'आरी तू ऐसी सवार कब से हो गयी जो ऊँट को इतने जोरों से भगा रही है ?' तब उसने उत्तर में ऊपर की कहावत कही जिसका अर्थ है कि मैं सवार तो नही थी, जबर्दस्तों ने मुझे सवार बना दिया ।असाई म्हे असाई म्हारा सगा, असी रातां का अस्सा ही तड़का।असाई म्हे असाई म्हारा सगा, बां कै टोपी न म्हारे झगा ।असी रातां का अस्सा ही तड़का ।असो भगवान्यू भोळो कोनी जको भूखो भैसां में जाय । हिंदी – कोई मूर्ख होगा जो प्रतिफल की इच्छा के बगैर कार्य करे।अस्सी बरस पूरा हुया तो भी मन फेरां में रह्या ।अहारे ब्योहारे लज्जा न कारे।आ छाय तो ढोलियां जोगी ही| हिंदी – बेकार वस्तु के नुकसान का दुःख न होना।आ नई काया सोने की, बार बार नहीं होणै की।आ बलद मनै मार।आ रै मेरा सम्पटपाट! मैं तनै चाटूं, मनै चाट।आ ले पड़ोसण झूंपड़ी, नित उठ करती राड़।आ सुन्दर मन्दर चलां तो बिन रह्यो न जाय। माता देवी आसकां, बै दिन पूंच्या आय॥आँ तिलां मैँ तेल कोनी | हिंदी – क्षमता का अभाव।आँख फड़कै दहणी, लात घमूका सहणी ।आँख फड़कै बांई, के बीर मिलै के सांई ।आँख कान को च्यार आंगल को फरक है।आँख कान को च्यार आंगळ को फरक है ।आँख गई संसार गयो, कान गयां हंकार गयो।आँख फड़के दहणी, लात घमूका सहणी।आँख फड़ूकै बांई, के बीर मिले के सांई।आँख फुड़ाई मूंड मुन्डायो, घर को फेरयो द्वार । दोन्यू बोई रै बूबना, आदेश न जुहार ।।आँख मीच्यां अंधेरो होय । हिंदी – ध्यान न देने पर अहसास का न होना।आँखन, कान, मोती, करम, ढोल, बोल अर नार। अ तो फूट्या ना भला, ढाल, ताल, तलवार॥ हिंदी – ये सभी चीजेँ न ही टूटे-फूटे तो ही अच्छा है।आँख्यां देखी परसराम, कदे न झूठी होय।आँख्यां में गीड पड़ै, नांव मिरगानैणी।आँख्यां सै आँधो, नांव नैणसुख।आँण गाँव को बींद र गांव को छोरा।आं तिला में तेल कोनी।आंख गयी संसार गयो, कान गया हँकार गयो । हिंदी - आँख फूटने पर संसार दिखाई नहीँ देता वैसे ही बहरा होने पर अहंकार समाप्त हो जाता है।आंख्याँ में गीड पड़ै, नांव मिरगानैणी ।आंख्याँ देखी परसराम, कदे न झूठी होय । हिंदी – आँखोँ देखी घटना कभी झूँठी नहीँ होती।आंख्याँ सै आन्धो, नांव नैनसुख ।आंगल्यां सूं नूं परै कोनी हुवै।आंट में आयोड़ो लो टूटै।आंटै आई मैरे बिलाईआंधा आगे ढोल बाजै, आ डमडमी क्यां की?आंधा की गफ्फी, बहरा को बटको । राम छुटावै तो छूटै नहीं सिर ही पटको ।।आंधा नै तो लाठी चाये।आंधा पीसै कुत्ता खाय।आंधा भागे रोवै, अपना दीदा खोवै।आंधा मेँ काणोँ राव | हिंदी – मूर्खोँ मेँ कम गुणी व्यक्ति का भी आदर होता है।आंधा सुसरा में क्यांकी लाज?आंधी आई ही कोनी, सूंसाट पैली ही माचगो ।आंधी भैंस बरू में चरै ।आंधी मा पूत को माथो नोज देखै।आंधै कै भांवै किंवाड़ ई पापड़।आंधो बांटै सीरणी, घरकां नै ही दे।आंधों के जाणै सावण की भार।आंध्यां की माखी राम उडावै ।आई रुत खेती, क्यूं करै पछैती।आई ही छाय नै, घर की धिराणी बण बैठी।आए लाडी आरो घालां, कह पूंछ ई आरै में तुड़ाई है।आक को कीड़ो आक में, ढाक को कीड़ो ढाक में ।आक में ईख, फोग में जीरो।आक सींचै पण पीपल कोनी सींचै।आकाश में थूकै जणा आपके ई मूं पर पड़ै।आकास में बिजली चिमकै, गधेड़ो लात बावै।आखर रामजी कै घर न्याव है।आगली दाल नै ई पाणी कोनी।आगलै सै पाछलो भलो।आगे थारो पीछे म्हारो | हिंदी – जैसा आप करेँगे वैसा ही हम।आगै आग न गैल्यां पाणी।आगै आग न पीछै भींटकीआगै मांडै पाछै दे, घट्या बध्या कागद सैं ले।आगो थारो, पीछो म्हारो।आज मरयो दिन दूसरो | हिंदी – जो हुआ सो हुआ।आज मरां काल मरां, मर्या मर्या फिरां।आज मरै जकै ने काल कद आवै।आज मर्यो दिन दूसरो जो गया सो गया।आज हमां और काल थमां | हिंदी – जो आज हम भुगत रहे हैँ, कल तुम भुगतोगे।आज ही मोडियो मूंड मूंडायो आज ही ओला पड्या।आटो कांटो घी घड़ो, खुल्लै केसां नार।आठ पूरबिया नो चूल्हा।आठ फिरंगी नो गोरा लड़ें जाट के दो छोरा ।आडा आया माँ का जाया | हिंदी – कठिनाई मेँ सगे सम्बन्धी (भाई) सहायता करते हैँ।आडू कै तो खाय मरै, कै उठा मरै।आडू चाल्या हाट, न ताखड़ी न बाट | हिंदी – मूर्ख का कार्य अव्यवस्थित होना।आडै दिन सै बास्योड़ो ही चोखो।आत्मा सो परमात्मा।आथणवचाई को मेह अर पावणूं आयो रहै।आदम्यां की माया, बिरखां की छाया।आदर खादर बाजे बाव , झूंपङ पङिया झोला खाय ।आदरा बाजै बाये, झूंपड़ी झोला खाय।आदरा भरै खाबड़ा, पुनबसु भरै तलाव।आदै थाणी न्याय होय | हिंदी – बुरे/बेईमान को फल मिलता है।आदै पाणी न्याव होय।आधा में देई देवता, आधा में खेतरपाल।आधाक सोवै, आधाक जागे, जद बातां का रंग दोराई लागै।आधी छोड़ एक नै धावै, बाकी आदी मुंह से जावै।आधे जेठ अमाव्साय रवि आथिमतो जोय।आधै माह कांधे कामल बाह।आधो घाल्यो ऊँखली, आधो घाल्यो छाज। सांगर साटै घण गई, मघरो मघरो राज।आधो धरती में, आधो बारणै।आधो बगड़ बुहारती, सारो बगड़ बुहार।आप आपकी मूंछो कै सै ताव दे हैं।आप आपकी रोट्यां नीचे सै आंच देवै।आप आपके दाणै पाणी मे मसत है।आप आपको जी सै नैं प्यारो।आप कमाडा कामडा, दई न दीजे दोस | हिंदी – व्यक्ति के किये गए कर्मोँ के लिए ईश्वर को दोष नहीँ देना चाहिए।आप की चाय गधा नै बाप बणावै।आप गुरुजी कातरा मारै, चेला नै परमोद सिखावै | हिंदी – निठल्ले गुरुजी का शिष्योँ को उपदेश देना।आप डुबन्तो पांडियो ले डूब्यो जजमान।आप भलो तो जग भलो।आप मरयां बिना सुरग कठै | हिंदी – काम स्वयं ही करना पड़ता है।आप मर्यां जुग परलै।आप में अक्कल घणी दीखै, दूसरै कनै घन घणूं दीखै।आपका फाड्या की सै बुझावै।आपकी एक फूटी को दुख कोनी, पड़ोसी को दोनों फूटी चाये।आपकी खोल में सै मस्त।आपकी गयां को दुख कोनी, जेठ की रह्यां को दुख है।आपकी गली में कुत्ता नार।आपकी छाय नै कोइ खाटी कोनी बतावै।आपकी छोड़ पराई तक्कै, आवै ओसर कै धक्कै।आपकी जांघ उघाड्यां आप ही लाजां मरै।आपकी पराई और पराई आपकी।आपकी मां ने डाकण कुण बतावै?आपके लागै हीक में, दूसरो के लागे भीत में।आपको कोढ़ सांमर सांमर ओढ़।आपको ठको टको दूसरै को टको टकुलड़ी।आपको बिगाड़यां बिना दूसरां को कोनी सुधरै।आपको सो आपको और बिराणू लोग।आपको हाथ जगन्नाथ!आपनै उपजै कोनी, दूसरां की मानै कोनी।आबरू लैर उधार दै।आभ के अणी नहीं, वेश्या के धणी नहीं।आभा की सी बीजली, होली की सी झल।आभा राता मेह माता, आभा पीला मे सीला।आम खाणा क पेड़ गिणना | हिंदी – मतलब से मतलब रखना।आम नींबू बाणियो, कंठ भींच्यां जाणियो।आम फलै नीचो नवै, अरंड आकासां जाय।आया ही समाई पण गया की समाई कोनी।आयी गूगा जांटी, बकरी दूधां नाटी।आयो चैत निवायो फूडां मैल गंवायो।आयो रात, गयो परभात।आरिषड़ा सबब जोय कर समय बताऊँ तोय। भादूड़ो जुग रेलसी छठ अनुराधा होय।आल के भाव को के बेरो।आल पड़ै तो खेलुं मालूं, सूक पड़ै घर जाऊँ।आलकसण ने रोट्याँ रो साग ।आला बंचै न आप सै, सूका बंचै न कोई कै बाप सैं।आवो मीयां खाणा खावो, बिसमिल्ला झट हाथ धुवावो। आवो मीयां छान उठावो, हम बूढ़ा कोई ज्वान बुलावो॥आषाढ़ की पूनम, निरमल उगै चंद। कोई सिँध कोई मालवे जायां कट सी फंद॥ हिंदी – आषाढ़ की पूर्णिमा को चाँद के साथ बादल न होने पर अकाल की शंका व्यक्त की जाती है।आसवाणी, भागवाणी।आसाडां धुर अस्टमी, चन्द सेवरा छाय। च्यार मास चूतो रहै, जिउं भांडै रै राय॥आसाडे धुर अष्टमी, चन्द उगन्तो जोय।आसाडे सुद नवी नै बादल ना बीज। हलड़ फाडो ईंधन करो, बैठा चाबो बीज॥आसाढ़ै सुद नोमी, घण बादल घण बीज। कोठा खेर खंखेर दो, राखो बलद ने बीज॥आसी च्यानण छठ, ताकर मरसी पट। रूआयी चांदा छठ, कातरो मरसी पट॥आसू जितरै मेह।आसोजां का पड्या तावडा जोगी बणग्या जाट ।आसोजी रा मेहड़ा, दोय बात बिनास। बोरटियां बोर नहीं, बिणयाँ नहीं कपास॥आसोज्यां में पिछवा चाली, भर भर गाडा ल्याई।
शुक्रवार, 17 अप्रैल 2020
राजस्थानी कहावतें
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें