जे कदे मिले टैम तो सुणां घणी सारी बातां.. दिल्ली रे धणियां री बात,रायधण री बात,लाखे फूलांणी री बात,जगदेव पंवार री ,कुंवरसी सांखले री,हाला झाला री,ढोलामरवण री,राव रिड़मल री,नाथै सांखले री,पाबू राठौड़ री,रावल कांन्हणदेव री,राव अमरसिंह राठौड़ री,अर मूमल महेंद्र री बातां सुनण री घणी इच्छा हुवै...
पण हमें कठे रही वे कोटड़िया ,अर कठे रहा बे मांझल रात तक बातां मांडणियां,अर डोढा हुंकारा देवणियां...अर कान लगार रस लेव बातां सुनणिया..म्हनै बचपन री याद आवै..जद कोई रावजी आवता, तो रात भर बातां रा धीबा लागता...भांत भांत री बातां, वीर रस री बातां, राजा रजवाड़ों री बातां, लडाई झगड़ां री बातां... मांझल रात बातां रा व्यालू हालता...बातां मांडणियां री इती वाणी मांय इती सरसता अर रूप वरणाव री चतुराई के ..सुनता सुनता दिन ऊग जावतो पण ऊंग नेड़ी को आवती..जे घोड़ां रो वरणाव आवतो तो ऐहणो वरणाव करता कि जाणे घोड़ा सामां ईज दौड़ रहया है...साबते शरीर री रगा रगा में रगत रो वेग वध जावतो...
आज बैठे बैठे ना पुराणी याद आई..पुराणी कोटड़िया री मजलिसां याद आई...बुढिय़ा री बातां याद आई...हूं बातां सूणण रो शौकीन हतो...हमें कोई टाबरिया बातां कोनी सुणे..बुढिय़ा रे नैड़ा ई कोनी बैसे...मोबाइलां अर टीबियां मी माथों घाटयोड़ो राखै...आंधा हुआरा पण आवे जावै कहीं कोनी...जाणै समझै बोर आली मी कोनी...
खैर वक्त बह गयो,रात ढलगी ,मरजादा जाती रही,कोटड़ियां खंडर व्हैगी,पण बातां रहगी,बातां ही रह जाणी है...अबार तो गायां उठगी है,गोबर बिखरयोड़ो पडयो है लारे...
कदेक मिलयो टैम तो करसां कोई ठाबकी बातड़ली...
शनिवार, 4 अप्रैल 2020
अबै तो टैम ही टैम है
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