मंगलवार, 7 अप्रैल 2020

गाँव री लुगाया

गाँव री लुगायाँ, भौरानभोर उठती, पीसणो  पीसती, खीचड़ो   कूटती, रोट्यां   पोंवती । 

गाँव री लुगायाँ, पूसपालो ल्यावंती,गायाँ  ने  नीरती, दूध    ने   दुंवती, बिलोवणो  करती । 

गाँव री  लुगायाँ, बुहारी     काढ़ती,बरतन   माँजती, कपड़ा     धोंवती,टाबर बिलमावती । 

गाँव री लुगायाँ,खेत म   जाँवती, निनाण कराँवती, सीट्या तुड़ावँती, खलो    कढावँती । 

गाँव री  लुगायाँ, पाणी ल्याँवती, गोबर    थापती,माथो     बाँवती, मेहंदी   माँडती । 

गाँव री लुगायाँ, बरत     करती, भजन   गाँवती ,पीपल  सींचती, का"णी   सुणती । 

गाँव री लुगायाँ, तातो जिमावती, लुखी खाँवती, सगळौ काम, सळटा"र सोंवती । 

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