च-झ
चक्कू खरबूजै पर पड़ै तो खरबूजै को नास, खरबूजो चक्कू पर पड़ै तो खरबूजै को नास।चडती जवानी हर भर्योडी आंट कितना औगण कोनी करै?चढसी जिका नै गिर्यां सरसी।चढ्योड़ो जाट तूम्बो ई चबा जावै ।चणा चाब कहै, म्हे चावण खाया, नहीं छान पर फूस, म्हे हेली से आया।चणा जठे दांत ना अर दांत जठे चणा ना।चणूं उछल कर किसो भाड़ नै फोड़ गेरसी?चतर नै चोगणी, मूरख नै सोगणी।चमारी अर रावलै जा आयी।चलती को नांव गाडी है।चाँद जळैरी टूट्या टिब्बा भरगी डैरी। हिंदी– यदि चाँद के चारों तरफ गोल घेरा दिखाई तो समझो कि जल्दी ही वर्षा आने वाली है, इतनी कि टिब्बे टूट जायेंगे और डैरी (समतल भूमि) पानी से भर जाएगी।चांच देई जठे चुग्गो भी त्यार है।चांद को गण गंडक नै भार्यो।चांद सूरज कै भी कलंक लागै।चांदी देख्या चेतना, मुख देख्या त्यौहार | हिंदी– चाँदी के सामने होने पर चेतना तथा व्यक्ति के आमने–सामने होने पर व्यवहार किया जाता है।चाए जिता पालो, पाँख उगता ईँ उड़ ज्यासी | हिंदी– पक्षी के बच्चे को कितने ही लाड़–प्यार से रखो, वह पंख लगते ही उड़ जाता है।चाए जिता पालो, पांख उगतां ही उड़ ज्यासी।चाकरी सै सूं आकरी | हिंदी– नौकरी सबसे कठिन है।'['चाकी में पड़ कर सापतो कोनी नीसरै।चान आगै लूंगत कतीक बार छिपै।चाम को के प्यारो, काम प्यारो है।चालणी को चाम, घोडै की लगाम, संजोगी को जाम, कदे न आवै काम।चालणी मैँ दूध दुवै, करमां नै दोस देवै | हिंदी– खुद मेँ अच्छे लक्षण नहीँ होने पर व्यर्थ ही भाग्य को कोसना।चाली पिरवा पून मतीरी पीली।चावलां की भग्गर को के हुवै, बाजरै की को तो सोक्यूं हो।चावलां को खाणो, फलसै ताईँ जाणो | हिंदी– चावल खाने वाले मेँ शक्ति नहीँ होती, वह केवल दरवाजे तक जा सकता है।चिड़पिड़ै सुहाग सूं रंडापो ही चोखो।चिड़ा-चिड़ी की के लड़ाई, चाल चिड़ा मैँ आई | हिंदी– चिड़िया व चिड़े की कैसी लड़ाई अर्थात् पति-पत्नी के बीच का मनमुटाव क्षणिक होता है।चिड़ी की चांच में सो मण को लकड़ो।चिड़ी जो न्हावै धूल मैँ, हा आवण हार। जल मैँ न्हावै चिड़कली, मेह विदातिण बार॥ हिंदी– चिड़िया के धूल मेँ नहाने पर वर्षा की सम्भावना होती है तथा पानी मेँ नहाने पर वर्षा काल समाप्ति की सम्भावना होती है।चित्रा दीपक चेतवे, स्वाते गोबरधन। डक कहे हे भड्ड़ली अथग नीपजै अन्न॥चींचड़ी र खाज।चीकणी चोटी का सै लगवाल | हिंदी– धनवान से कुछ प्राप्त करने की सभी की इच्छा होती है।चीकणै घड़े पर बूँद न लागै, जे लागै तो चीठौ | हिंदी– चिकने घड़े पर पानी नहीँ ठहरता पर मैल जम जाता है।चीकणै घड़ै पर पानी की बूंद को ठहरै ना।चील को मांस तो चुटक्यां में ही जासी।चुस्सी को सिकार और ग्यारा तोप।चूंटी चून घड़ा दस पाणी का।चूंटी टूंटी को भी लंक लागै है क्यूं कै नित बड़ी है।चून को लोभी बातां सूं कद मानै | हिंदी– आटे का लोभी बातोँ से कैसे मान सकता है।चूनड़ ओढ़ै गांठ की, नांव पीर को होय।चूसै का जाया तो बिल ई खोदैगा।चूसै के बिल में ऊंट कैयां समावै।चेला ल्यावै मांग कर, बैठा खावै महन्त। राम भजन को नांव है, पेट भरण को पन्थ॥चैत चिड़पडो सावण खरखड़ा।चैत पीछलै पाख, नो दिन तो बरसन्तो राख।चैत मसा उजाले पख, नव दिन बीज लुकोई रख। आठम नम नीरत कर जोय, जां बरसे जां दुरभख होय।चैत महिने बीज लुकोवे धुर बैंसाखां केसू धोवै।चैत मास नै पख अंधियारा, आठम चवदस हो दिन सारा।चोखो करगो, नाम धरगो | हिंदी– अच्छा करने वाले की ख्याति रहती है।चोटी काट्यां चेलो कोनो होय।चोटी राख कर घी खाणूं।चोपड़ी अर दो दो।चोपदरां कै सैं कुण परोसो ले?चोर की जड़ चोर ही दाबै।चोर की मा घड़ै में मुंह देकर रोवै।चोर की मां रो बी कोनी सकै।चोर कै छाती है, पण पग कोनी।चोर कै बागली ही कोनी।चोर चोरी करै पण घरां सांची बतावै ।चोर चोरी सै गयो, जूती बदलण सै थोड़ो ई गयो।चोर नै के मारे, चोर की मां नै मारे।चोर पेई लेगो, ले जाओ ताली तो मेर कन्नै है।चोरी अर सीना जोरी।चोरी को धन मोरी में जाय।चोरी चोरी करे पण घर आव ने ता साच बोले है।चोरी जैड़ो रुजगार नीं, जे पड़ती व्है मार नीं ।चौमासे को गोबर लीपण को, न थापण को।च्यार कूंट सै मथुरा न्यारी है।च्यार चोर चोरासी बाणिया, के करै बापड़ा एकला बणिया।च्यार चोर चौरासी बाणिया, बाणिया बापड़ा के करँ ।च्यार दिनां री चानणी, फेर अँधेरी रात | हिंदी– सुख का समय कम रहता है।च्यार पाव चून चौबारे रसोईछड़ी पड़ै छमाछम, विद्या आवै धमाधम।छदाम को छाजलो, छै टका गंठाई का।छन में छाज उड़ावै, पल मैं करै निहाल।छाज तो बोलै से बोलै पण चालणी भी बोलै जिकै ठोतरसो बेज | हिंदी– निर्दोष दूसरोँ को सीख देने का अधिकार रखता है पर दोषी किसी को क्या सीख देगा?छींक खाये, छींकत पीये, छींकत रहिये सोय। छींकत पर घर कदे न जाये, आछी कदे न होय॥छुट्येडा तीर पाछा कोनी आवै।छेली दूद तो देवै पण देवै मींगणी करकै।छोटी–छोटी कामणी सगळी विष की बेल | हिंदी– कामिनियाँ जहर की बेल के समान हैँ।छोटो उतणूं ही खोटो।छोडा छोलणं बूंट उपाड़न, थपथपियो, ओ नाई एता चेला न करो, गरुजी काम न आवै कांई।छोड़ो ईस, बैठो बीस।छोरा! तेरी पेट तो बांको, कहै, ढाई सेर राबड़ी तो ऐं ही में उलझाल्यूं।छोरा! पेट क्यूं टूटगो? कै मांटी खाऊं हूं।छोरा, बार मत जाजै, बीजली मार देगी, कह- ऐ जाटां हाला ना खेलै है, कह, ऐ तो बीजली का मार्योड़ो ही है।छोरी ऐं गांव में चौधर कैं कै, कह, भई पहल काणैं तो म्हारै खेत निपज्यो हो सो चौधर म्हारे थी। इबकै बाजरी मेरै काका कै हो गई सो चौधर ऊंकै चली गई।छोरो बगल में, ढूंढै जंगल में।छोर्यां सै ही घर बस ज्याय तो बाबो बूडली क्यूं ल्यावै?जंगल जाट न छोड़िये,हाटां बीच किराड़। रांगड़ कदे न छोड़िये,ये हरदम करे बिगाड़।।जगत की चोर, रोकड़ को रुखालो।जट खोस्यां किसा ऊंट मरै है?जटा बधे बडरी जब जांणा, बादल तीतर-पंख बखाणां, अवस नील रंग व्है असमाणां, घण बरसे जल रो घमसाणां।जठे देखै तवा परात, उठे नाचै सारी रात।जठे पड़ै मूसल, उठै ही खेम कूसल।जद कद दिल्ली तंवरां।जननी जल्मे तो दोय जण, के दाता के सूर, नातर रहजे बांझड़ी, मती गंवावे नूर।जब लग तेरे पुण्य को, बीत्यो नही करार। तब लग मेरी माफ है, औगण करो हजार।जबान मैँ रस, जबान मैँ विष | हिंदी– बोली मेँ ही रस होता है तथा बोली मेँ ही जहर भी घुला रहता है अर्थात् बोली ही महत्त्वपूर्ण है।जमी जोरू जोर की, जोर हट्यां और की।जमींदार कै बावन हाथ हुवै।जमीन ऍर जोरु जोर की नहीं तो कोई और की।जमीन को सोवणियो अर झूठ को बोलणियो संकड़ेलो क्यूं भूगतै?जयो चींचड़ी, दायमू, खटमल, माछर जूं, अकल गई करतार की, अता बणाया क्यूं।जल का जामा पहर कर, हर का मंदर देख।जल को डूब्यो तिर कै निकलै, तिरिया डूब्यो बह जाय | हिंदी– पानी मेँ डूबा हुआ तैर कर बाहर आ सकता है परन्तु पर स्त्री आसक्त अवश्य डूबता है।जलम अकारथ ही गयो गोरी गले न लग्ग।जलम को आंधो नाम नैणसुख।जलम को दुख्यारो, नांव सदासुखराय।जलम घड़ी अर मरण घड़ी टाली कोनी टलै।जलम रात अर फेरा टाली कोनी टलै।जळ ऊँड़ा थळ उजळा नारि नवळे वेश। पुरुष पट्टाधर निपजे आई मरुधर देश॥ हिंदी - गहरे पानी और गहरी सोच वाले यहां के पटादर पुरुष सिर्फ इंसानों से ही नहीं मरुभूमि की उपज से भी प्यार करते हैँ|जसा देव, बसा ई पूजारा।जसा बोलै डोकरा, बसा बोलै छोकरा।जसा साजन, उसा भोजन।जसो राजा, बसी ही परजा।जहर खायगो सो मरैगो।जहर नै जहर मारै।जां का मरग्या बादस्याह, रुलता फिरै वजीर।जांट चढै जको सीरणी बांटै।जांटी चढे जको सीरणी बाँट | हिंदी - जो समी के पेड़ पर चढ़ता है, वही खतरे के निवारण हेतू देवता का प्रसाद बोलता है ।जांन में कुण-कुण आया? कै बीन अर बीन रो भाई, खोड़ियो ऊंट अर कांणियो नाई।जाओ लाख रैवो साख, गई साख तो बची राख ।जागता की भैंस पाडी ल्यावै ।जागता नै पगाथ्यां गेरै ।जागै सो पावै, सोवै जो खोवै।जाट ओर जाट भाई॥जाट और घोयरा तावडॆ मॆ ही निकला करे।जाट करै ना दोस्ती, जाट करै ना प्यार जो साचा इंसान हो, वो-ए इसका यार । चुगलखोर और दुतेड़े दुश्मन इनके खास चाहे पायां पड़े रहो, कोन्यां आवैं रास ||जाट कहे सुण जाटणी, इसी ना कदे होय । चाकी पीसे ठाकरां, भांडा मांजै जोय ।।जाट कहै सुण जाटणी इणी गांव में रैणो। ऊंट बिलाई ले गई हांजी हांजी कहणों।जाट की छोरी र' फलकै बिना दोरी ।जाट की बेटी और काकोजी की सूं | हिंदी - छोटा भी जब ज्यादा नजाकत दिखाने लगता है तब प्रयोग किया जाता है ।जाट कै बुद्धि गेल न हुवै ।जाट को के जजमान, राबडी को के पकवान ।जाट गंगाजी नहा आयो के ? कह, खुदाई कुण है ।जाट जंगल मत छेड़िये, हाट्यां बीच किराड़। रंघड़ कदे न छेड़िये, जद द करै बिगाड़।जाट जंवाई भाणजा, रैबारी सुनार । कदे न होसी आपणा, कर देखो व्योहार ।।जाट जंवाई भाणजो, रेवारी सुनार । ऐता नहीं है आपणा, कर देखो उपकार ।।जाट जठे ठाठ बठे।जाट जठे ठाठ।जाट जडूलै मारिये, कागलिये ने आळै । मोठ बगर में पाडि़ये, चोदू हो सो बाळै | हिंदी - जाट जब तक वयस्क नहीं हो जाता, कौवा जब तक उड़ना नहीं सीख लेता तब तक ही ये वश में आते हैं । मोठों पर जब तक बगर आया रहता है तब तक ही उपाड़ना ठीक है ।जाट जाट तेरो पेट बांको, कह, मैं ई मैं दो रोटी अलजा ल्यूंगो ।जाट जाट तेरो पेट बांको, कह, मैं ऐ मैं ई दो रोटी राबड़ी अलजा ल्यूंगो।जाट डूबै धोळी धार, बानियों डूबै काळी धार ।जाट न जायो गुण करै, चणैं न मानी बाह, चन्नण बिड़ो कटायकी, अब क्यों रोव बराह ।जाट पहाडा: एक जाट-जाट, दो जाट-मौज, तीन जाट-कंपनी, चार जाट-फौज |जाट बलवान जय भगवान ।जाट मरा जब जानिये जब चालिसा होय ।जाट रे जाट ! तेरे सिर पर खाट, कह, मियाँ रे मियाँ ! तेरे सिर पर कोल्हू, कह, तुक तो मिली ना, कह, बोझ्याँ तो मरैगा ।जाटणी की छोरी र भलकै बिना दोरी।जाण न पिछाण मैं लाडा की भुवा।जाण मारै बाणियूं, पिछाण मारै चोर।जातरी धाणकी र कैवे भींट्योडो को खावूं नी।जातै चोर का झींटा ही चोखा।जायां पहलां न्हाण किसो?जावण लाग्या दूद जमै।जावो कलकत्तै सूं आगै, करम छाँवली सागै | हिंदी– भाग्य व्यक्ति के साथ रहता है।जावो भांव जमी के ओड़, यो ई माथो यो ई खोड़।जावो लाख रहो साख।जिकै गांव नहीं जांणू, ऊंको गैलोही क्यूं पूछणूं?जिण का पड्या सुभाव क जासी जीव सूं। नीम न मीठो होय, सींचो गुड़ र घींव सूं।जिण दिस बादलण जिण दिस मेह, जिण दिस निरमल जिण दिस खेह।जितणा मूंडा, उतणी बात।जितणै की ताल कोनी, उतणै का मजीरा फूटगा।जिसी करणी, उसी भरणी।जी को चून, ऊंको पुन्न।जी को बाप बीजली सै मरै, बो कड़कै सैं डरै।जी जोड़ै सो तौड़ै।जी नै देख्यां ताप आवै, बो ही निगोड़्यो ब्यावण आवै।जी हांडी में खाय, बी में ही छेद करै।जीँ की खाई बाजरी, ऊं की भरी हाजरी | हिंदी– व्यक्ति जिसका दिया खाता है उसी की खुशामद भी करनी पड़ती है।जीं हांडी में सीर नई, बा चडती ई फूटै।जींकै घर में दूजै गाय, सो क्यूं छाछ पराई जाय?जीभड़ली मेरी आलपताल कडकोला खा मेरो लाड़लो कपाल।जीभड़ल्यां इमरत बसै, जीभड़ल्यां विष होय। बोलण सूं ई ठा पड़ै, कागा-कोयल दोय।।जीमण अर झगड़ौ, पराये घरां आछो लागै ।जीमणों सोरो जीमाणो दोरौ ।जीम्या जिनै जीमांणा ई पडे ।जीम्यां छोडै पांवणौ, मरयाँ छोडै ब्याज ।जीम्यां पाछै चलू होय है।जीम्यांर पातल फाड़ी।जीव को जीव लागू।जीवडल्यां घर उजड़ै, जीवडल्यां घर होय | हिंदी– बुरी वाणी से घर उजड़ जाते हैँ तथा अच्छी वाणी से घर बस जाते हैँ।जीवतड़ा नहीं दान, मर्यांने पकवान।जीवतां लाख का, मर्यां सवा लाख का।जीवती माखी कोन्या गिटी जावै | हिंदी– जानते हुए बुरा काम नहीँ किया जा सकता।जीवैगा नर तो करैगा घर।जीवो बात को कहणियुं जीवो हुंकारा दीणियुं।जुग देख र जीणूं है | हिंदी– समय के अनुसार कार्य करना चाहिए।जुग फाट्याँ स्यार मरै | हिंदी– संगठन टूटने से हानि है।जुगत जाणनुं हांसी खेल कोनी।जूती चालैगी कतीक, कह, बीमारी जाणिये।जे टूट्यां तो टोडा।जेठ गल्यो गूजर पल्यो।जेठ जी की पोल में जेठ जी ही पोढ़ै।जेठ बदी दशमी, जे शनिवार होय। कण ई होय न धरण मैँ, बिरला जीवै कोय॥ हिंदी– जेठ कृष्णा दशमी शनिवार को पड़ने पर वर्षा नहीँ होती।जेठ बीती पहली पड़वा, जो अम्बर धरहड़ै। आसाढ सावण काड कोरो, भादरवै बिरखा करै।जेठ मूंगा सदा सूंगा।जेठा अन्त बिगाड़िया, पूनम नै पड़वा।जेठा बेटा अर जेठा बाजरा राम दे तो पावै | हिंदी– ज्येष्ठ पुत्र तथा ज्येष्ठ माह मेँ बढ़ा हुआ बाजर भाग्य से ही प्राप्त होते हैँ।जेठा बेटा भाई बराबर।जेठा बेटा र बेठा बाजरा राम दे तो पावै।जेबां घाल्या हाथ जणा ही जाणिया, रुठ्योडो भूपाल क टूठ्या बाणियां।जेर सैँ ई सेर हुया करै है | हिंदी– बच्चोँ की उपेक्षा न करेँ क्योँकि वे भविष्य मेँ बलवान हो जाते हैँ।जेवड़ी बलज्या पण बल कोनी जाय।जै की चाबै घूघरी, बैंका गावै गीत।जै तूं गेरैगो तोड़-मरोड़, मैं निकलूं गी कोठी फोड़।जै धन दीखै जावतो, आधो दीजै बांट।जै बाण्या तेरे पड़ गया टोटो, बड़जया घी का कोटा में, खीर खांड का भोजन करले, यो भी टोटा टोटा में।जै भीज्यो ना काकड़ो तो क्यां फेरै हाली लाकड़ो?जै रिण तारे बाप को तो साडा मूंग बुहाय।जैं करी सरम, बैंका फूट्या करम ।जैं की टाट, जैं की ही मोगरी।जैतलदे बिना किसो रातीजुगो।जैसा कंता घर भला, वैसा भला विदेश।जो गुड़ सैं मरै बी'नै जहर की के जरुरत।जोजरै घड़ै ही जोरी अवाज।ज्यादा लाड सै टाबर बिगड़ै।ज्यादा स्याणु कागलो गू मैं चांच दे ।ज्यूं-ज्यूं बड़ो हुवै ज्यूं-ज्यूं पत्थर पड़ै है।ज्वर जाचक अर पावणो, चोथे मंगणहार। लंघण तीन कराय दे, कदे न आसी द्वार।झखत विद्या, पचत खेती।झगड़ै ही झगड़ै तेरो कींणू तो देख।झगड़ो अर भेंट बधावै जितनी ई बधै।झट काढी पट बाई।झलकणै सूं सोनी कोनी होय।झूठ की डागलां ताईँ दौड़ | हिंदी– झूठ अधिक दिन नहीँ चलती।झूठ बिना झगड़ो नहीं धूल बिना घड़ो नहीं।झूठ बोलणियों र धरती पर सोवणियों संकड़ेलो क्यूं भगतै?झूठी राख छाणी, ल्हादी न दाजी धांणी।झूठै की के पिछाण, कै बो सोगन खाय।झैर नै झैर मारै।
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