सोमवार, 6 अप्रैल 2020

कोरोना से डर


राम राम सा
कुछ लोगो का कहना है कि मुझे इस कोरोना वायरसों का डर नही है फिर भी डर जरुर रहे हैं । आज ये बात हमे सोचने पर मजबूर कर रही है कि आज इंसान अपने ही फैलाए वायरस से खुद ही डर रहा है। जगह-जगह चेतावनियां देता फिर रहा है कि कोरोना वायरस से बच कर रहें। ऐसी-वैसी कोई से कोई सामान ना ले सोशल डिस्टेंसिंग बनाये रखें । जरा-कुछ खतरा दिखे तो तुरंत स्वस्थ्य कर्मियो आगाह कर दें। हां, भीड़-भाड़ हो वहाँ तो बिल्कुल भी न जाये ।

अचानक से इतना डर, इतना भय क्यों और किसलिए? कौरोना वायरस भगवान का नहीं इंसानों का बनाया एवं फैलाया हुआ है। इसका उद्देश्य भगवान को नहीं केवल इंसानों को नुकसान पहुंचाना है। उंगुली को टेढ़ा कर करके विदेशियो को पैसा वसूलना है। यह सब तिकड़मबाजियां तो इंसान ने ही इंसान को सिखाई-पढ़ाई-बताई हैं। फिर इनसे क्या घबराना?
इंसान खुद को चाहे कितना ही ‘बलशाली’ प्राणी क्यों न कह ले लेकिन होता वो बहुत ‘डरपोक’ टाइप है। खुल्ला कहूं तो जानवरों से भी ज्यादा डरपोक। गीदड़-भभकी का जानवर फिर भी मुकाबला कर लेते हैं किंतु इंसान तो तुरंत इतना दूर भाग जाता है लंगूर को देखकर बंदर।
बताइए, एक कोरोना वायरस से पूरी दुनिया डरी पड़ी है। कमाल देखिए, इतना आधुनिक और टेक्नो-फ्रैंडली होने के बावजूद वायरस का कोई तोड़ उसके पास चार महिने बाद अभी नहीं आया । पुरे देश को बंद करवाकर रखा हैं, कहीं कौरोना सबकी लंका न लगा दे। हालांकि  देश मे कई जगह फेल भी चुका है। तो भी क्या...?
सरकार ने 21 दिन सभी को अपने अपने घर के अन्दर रहने को कहा गया है लेकिन हम मानने वाले कहाँ है? ऐसे ही घुमेन्गे।

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