।। राम राम सा ।।
मित्रो नशा नाश का द्वार है तथा सभी धर्मो में नशीली चीजों का सेवन पूर्णतया वर्जित है। अगर बात धार्मिक आयोजन,विवाह ,गृहप्रवेश,जागरण आदि की करें तो ऐसे आयोजनों में विशाल समुदाय की उपस्थिति को देखते हुए बिड़ी, सिगरेट, तम्बाकू व अफीम-डौडा सहित अन्य नशीली चीजों को दूर रखना बहुत ही कठिन काम हो जाता है। कोई भी नशे का प्रचलन कोई ज्यादा पुराना नही है।आजादी से पहले सिर्फ राजाओ के रजवाड़ों मे प्रतिष्ठित लोग एवँ कभी कभी छोटे बड़े आयोजन शादी विवाह पर ही प्रयोग होता था। लेकिन आजादी के बाद धीरे-धीरे पैर पसारने लगा और अब पिछ्ले बीस पचीस साल मे तो इतना फैल गया है कि कोई कहने वाली बात ही ना रही है । आज ईस महामारी मे कम ही लोग होन्गे जिसको खाने पीने के सामान की तकलीफ होगी लेकिन ज्यादातर लोगो मिराज गुटखा दारु अफीम आदि की परेसानी है मनुष्य को जीने के लिये भोजन व पानी व हवा के अलावा किसी चीज की आवश्यकता नही होती है। मनुष्य खुद आवश्यकताए बनाता है। चाहे वो किसी भी ऐसो आराम की हो या फिर नशे की लत हो । समाज के लोग भी कितनी भी बड़ी बड़ी बाते जरूर करते है । किसी को जागरुक नही कर रहे हैं। सनातन संसकृति के गुरुकुल बँद हो गये है शिक्षा की नीतियाँ भी इतनी सक्षम नही है । सरकार द्वारा लगाया गया प्रतिबंध फिस्स्डी साबित हो जाता है।
कुछ लोगो का कहना है कि अगर हमारी समाज के अग्रणीय व समाज के मुख्या पंच यह ठान लेते है कि सभाएं आयोजन पूर्ण नशा मुक्त ही होगा व रहेगा तो फिर क्या कहना, कहते है कि जहाॅ चाह वहाॅ राह, जैसी सोच होगी वैसा ही व्यक्ति कर के दिखा सकता है । मै उनकी बात का भी समर्थन करता हूँ। लेकिन इन सब के बिना आयोजन बहुत ही फीका हो जाता है ।
आजकल जहाँ भी सभा आयोजन हो गौर से देखें कि सौ दौसौ आदमी की भी सभा हो उनमे से 60 प्रतिसत युवा नशेड़ी मिल जायेंगे उनको सभा से कोई लेना देना नही है कितना भी पिलाऔ मना नही करेंगे आये और डोडा अलम, चाय, पिये , बीड़ीया फूंकी जर्दा मुँह मे दबाया और यह कहते हुये रवाना हो जायेंगे की माल मे कस नही था। और जाते जाते रशोईया को फोन नम्बर देके जायेंगे कि मै जरुरी काम से घर जा रहा हूँ खाना बनते ही फोन कर देना और भूलना मत । अगर सम्पुर्ण पाबंदी हो तो आयोजन कर्ता का खर्च आधा हो जाता है । लेकिन जब तक हम स्वयं ही जागरुक नही होन्गे तब तक इस नशा जैसी जंजीरों मे जकड़े ही रहेंगे ।
आजकल लोग चाहकर भी छोटी सी सभा आयोजन कराने से डरते है कि जितना खर्चा खाने पीने का आयेगा उनसे दौ गुणा ज्यादा नशीली चीजो का हो जायेगा ।
मेरा पूरे समाज के सभी बुजुर्गो व युवा वर्ग से अनुरोध है कि आप भी समाज हित में कुछ ध्यान देवे तथा आपके समस्त प्रकार आयोजनों को स्वय प्रेरित होकर नशा मुक्त रखवाये तथा समाज में कुरीतियां एवं रूढिवादी परम्पराओं को मिटाने हेतु समय की नजाकत को देखते हुये समाज हित में विशेष अभियान के रूप में जाग्रति लाने के प्रयास में सहयोग दिरावें।आजकल इस लोकडाउन के समय मे लोग जितने लोग खाने पीने से परेसान नही है उनसे कई गुणा लोग इन नशीली चीजो से परेसान है ।
इसी के चलते ईधर उधर भागने का प्रयास कर रहे हैं।
बुधवार, 8 अप्रैल 2020
नशा ही नाश कर रहा हैं
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