।। राम राम सा ।।
मित्रो ईंन दिनो कोरोना महामारी अपने कदम थमने का नाम ही ले रही है । पुरे देश मे लोकडाउन है। देश के लाखौ प्रवासी अलग अलग राज्यो मे फसे हुये है जो लोकडाउन खुलने का इन्तज़ार कर रहे है । इस स्तिथि मे कई सामाजिक संस्थाएँ भी सहयोग कर रही है ।आवस्यकतानुसार खाने पीने का सामान बाँट रहे है । देश के सभी भामाशाहो ने भी बहुत अच्छा योगदान दिया है केन्द्र सरकार व सभी राज्य सरकारौ ने राहत पेकेज घोषणाए की हैं । मित्रो आज भी हमारे देश मे ऐसे लोग भी है जिसके पास खाने का कुछ भी ना होते हुये भी बहुत कहने के बाद भी यह कहते हुये सामान टाल देते है कि थौडे दिंन की ही तो बात है कैसे भी दिन निकाल देंगे सब ठीक हो जायेगा । भगवान करे ऐसा ही हो ।
लेकिन इसके उपरांत हमारे देश मे फर्जी गरीबो की भी कमी नही है। ऐसे लोग देश की इस मुसकिल घड़ी मे सरकारो व सामाजिक संस्थाऔ से दौ दौ साल नही तो कम से कम एक एक साल का सामान तो आसानी से हड़प लेगी
और जरुरतबन्द गरीब को लेने नही देंगे ।
हमारे देश मे दौ तरह के गरीब होते है एक गरीब (जो वास्तव मे गरीब) और दुसरा सरकारी गरीब (सरकारी कागजो मे गरीब)होता है । दुसरी बात यह भी है कि आम लाइफ में अगर किसी आम आदमी को गरीब कह दो तो अगला ऐसे ‘भड़क’ उठता है समझो कोई ‘बहुत गंदी’ टाइप गाली दे डाली हो। अरे! तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई गरीब कहने की । हम गरीब नही है। लेकिन सरकारी माल को मुफ्त मे लेने के लिये गरीब बने हुये हैं।
जबकि असल जिंदगी में गरीब तो वे भी नहीं होते। हमारे देश मे दौ तीन तरह के लोग देश को जो दीमक की तरह चाट रहे है एक तो नेता और एक फर्जी गरीब व कुछ सरकारी कर्मचारी । इन सभी के बीस मे ठगी का एक विशेष कनेक्शन भी होता है । ये फर्जी गरीब बनकर मुफ्तखोरी से सरकारी अनाज हड़पते रहते है । गरीबो को मिलने वाले अनाज को डकार जाते है ।
वैसे तो फर्जी गरीब भारत के हर कौने मे मिलेंगे
कुछ लोगो का कहना है कि भारत गरीबों का देश है। जबकि ऐसा कतई नहीं है। भारत राजा-महाराजाओं के जमाने में भी ‘सोने की चिड़िया’ था, और अब भी है। लेकिन फर्क सिर्फ इतना आया है कि अभी सोने की चिड़िया को चंद बड़े नेताओं बड़े लोगों ने कैद करके रखा है।
हमारे देश मे इन योजनाओं के तहत बने हुए राशन कार्डों में मात्र पन्द्रह बीस प्रतिसत राशन कार्ड ही सही हैं, बाकी राशन कार्ड रिश्वत लेकर फर्जी तरीके से बनाए गए हैं। आपको जानकर हैरानी होेगी कि गांवो में ऐसे-ऐसे लोगों के नाम बीपीएल और अन्त्योदय योजना में शामिल कर लिए गए हैं जिनके पास पक्का मकान, जमीन और चौपहिया वाहन तक हैं।हमारे देश मे अभी भी फर्जी रासन कार्डो की भरमार है सरकार अगर BPL कार्ड धारक के घर घर जाकर ऑन स्पॉट कोई निष्पक्ष एजेंसी जांच करे तो
देश के 70% गरीब फर्जी निकलेंगे ये भी एक कड़वा सच है
भारत की आजादी के इतने सालों के बाद भारत में गरीब और गरीबी पर लगातार अध्ययन और खुलासा हो रहा है। अब तक यही कहा जा रहा था कि सरकार के लाख प्रयासों के बाद भी देश में गरीबी कम होने का नाम नहीं ले रही है। अब होगी भी कैसे ये राजनेता खत्म होने ही नही देंगे । क्योकि गरीबी खत्म हो गई तो खेरात किस नाम से मांगेगे। आज लोग माहामारी से झुज रहा है लेकिन कुछ लोग इकट्ठा कर ने मे लगे हुये है । जब कई घरो मे भूखे मरने को लेकर फोन करने के बाद रासन पहुँचाने गये लोगो के घरो मे जब जांच की तो वहाँ पर उनके घरौ मे तीन तीन महिनो का सामना निकला देखकर कर्मचारी हेरान रह गए कि हमारे घरो मे तो दस पन्द्रह दिन का ही स्टोक रखते है लेकिन इन फर्जी गरीबो के पास तो तीन तीन महिनो का रासन स्टोक रखा हुआ है। एल ई डी टीवी रखी। दस हजार का फोन रखा है पास मे स्पलेन्ड़र गाड़ी है ।शानदार पलंग है । फिर भी फोन करके पुछ रहे है कि साहब तीन दिन से कुछ नाही खाये है जल्दी खाना लेकर आइये नही तो हमारे बच्चे मरने वाले है ।और तो उपर से ये भी कह रहे है कि जब सरकार सब चीजे मुफ्त मे दै रही है तो हम गरीब ही बनेंगे अमीर क्यो ?
बुधवार, 1 अप्रैल 2020
भारत के फर्जी गरीब
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