सोमवार, 13 अप्रैल 2020

मरद तो मुछाल बन्का नैणां बन्की गोरीया

मरद तो मुछाळ बंका, नैण बंकी गोरियां ।
चँवरां बंकी गावड़ी, कान बंकी घोड़ियाँ।।
"मूंछ मुंडा मत मानवा, मूंछों रो है मान ।
मूंछाळौ मरदां तणी, रंग धर राजस्थान ।।
मुंछा गहणो मरदरौ,मिनख पणै रौ मान।
जै इब चावो जौवणो,(तौ)रैवो ज राजस्थान।। मरद तो मूंछाळ बंका, पौड़ बंकी घोड़ियां ।  बिचमे पांतरग्यो, पीव बंकी गोरियां।।
रुड़ा राजस्थान माँहि, मूंछ वाळो मरोड़।
संत सती और शूरमा, ठावा ईण ज ठोड़।।
मूंछ मरोड़े मांनखो, राजस्थानी रोज।
मूंछां निरखे मांनवी, इण सूं उपजै औज।।
खरी कमाई खावणी , हक री लिया हमेश । बेहक सूॅ बरबादगी , (म्हे) फुरता दीठा फेस ।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें