शुक्रवार, 10 अप्रैल 2020

भारत की तुलना विदेशो से क्यो

।। राम राम सा ।।
मित्रो आजकल सौशल मीडिया भी कितना घटिया तरह की राजनीति कर रहा है वो तो हम सब देख ही रहे है ।  इसी क्रम के चलते इन सभी के कोरोना वायरस पर कवरेज देखिये । समस्त राजनीतिक विषयों पर एक तरफ़ा झुकाव के पश्चात भी इस महामारी और राष्ट्रीय संकट के समय पर भी कितना कमीनापन करते हुए नजर आते हैं। जनता तो इस भरोसे है कि ये इस कठिन समय में देश के साथ खड़े होंगे, और सरकारों के प्रयत्नों को जन-जन तक पहुँचाएँगे। लेकिन इन्हे राजनिति के अलावा और कुछ नहीं दिखता है इनका काम निष्पक्ष बनकर  गलतियाँ  ढूँढना है । लेकिन सिर्फ बिना काम उनकी प्रशंसा  ही करते दिखेन्गे। अन्य कुछ करो या ना करौ जो कोई  भी इस समय राष्ट्रहित में व्यवहार नहीं कर रहा है,उसको सामने लाओ । जब तुम रामरहीम रामपाल आशाराम की गुफा के आखिरी सिरे तक पहुँच जाते थे पुरे दिन तीन तीन महिने तक हॉट न्यूज दिखाते थे अब तुम्हारे मुहँ मे कौनसे कीड़े पड गये है । जो आज चुप हो गये हो ।  देश के पत्रकारों का जो वर्ग तलवे चाटुकार है  मोदीजी से नाराज रहता है,अगर उनकी पहचान सिर्फ एक मानदंड से की जाये तो वह है कि वे पत्रकार जिन्हें कोंग्रेश  सरकार में कई पुरस्कार मिले थे चाहे वह राजदीप सरदेसाई हो या शेखर कपूर,विनोद दुआ,बरखा दत्त,गौरव आनंद ,प्रफुल बिदवई,पुण्य प्रसून बाजपेयी,
रवीश कुमार"(NDTV),अरुण पुरी,निधि राजदान(NDTV),करण थापर और भी है इन दौगलौ पत्रकारों की बड़ी लिस्ट है जो मोदी विरोधी हैं। और इन मे से एक ने भी यह नही कहा कि जो पुलिस-प्रशासन पर थूक रहे हैं या नंगे हो रहे है आज भी जगह जगह लोकडाउन की धज्जियां उड़ा रहे है उनके बारे मे दौ शब्द भी बोले । खुद को देश के नागरिकों का हितैषी स्थापित करते हुए इन भड़वो  ने देश की जनता को वीडियोज में न केवल जमकर भड़काया है। बल्कि अपने कुतर्कों से उन्हें गुमराह करने की कोशिश की है। एक भी बार देश के नागरिकों को कोरोना से बचे रहने की बात कहते नजर नहीं आते। बल्कि सरकार के ख़िलाफ़ बोलते, उनके फैसलों की निंदा करते और लोगों को उकसाते नजर आते हैं।
केंद्र और राज्य सरकारों के तत्पर एवं कठोर कदमों की रत्ती भर प्रशंसा किए बिना ये भाड़े के टत्टू  चल पड़े  हो त्रुटियाँ गिनाने,अपने देश की विदेशों से तुलना करने के लिये।
आज सभी देशो की न्यूज को हम सब देखते है    न्यूज मे सभी देशो के हालातो को देखते हुए ये बात तो हम दावे के साथ कह सकते हैं कि हमारे देश मे कोरौना की रोकथाम को लेकर तैयारियाँ, इतने कम समय में जुटाई गई व्यवस्थाएँ, एवं चिकित्सा कौशल, अन्य विकसित एवं प्रभावित राष्ट्रों से किसी प्रकार से कम नहीं है। अपितु कई मायनों में भारत द्वारा उठाए गए कदम, अद्वितीय हैं, और कई अन्य देशों की कल्पना के बाहर के हैं।
ये एक अलग बात है कि यहाँ जनसंख्या ज्यादा हो के कारण अगर मरीज ज्यादा हुये तो संसाधन  की कमी हो सकती है लेकिन वर्तमान मे अपने देश जैसी सेवाए दुसरे देशो मे भी नही है कई देशो मे वहाँ सिर्फ़ और सिर्फ़ बिलकुल साँस ना आने जैसी गम्भीर स्थिति में ही अस्पताल को सम्पर्क करने के निर्देश हैं। इसके अलावा यदि आपको कोरोना वायरस संक्रमण सम्बंधित अन्य लक्षण जैसे तेज बुख़ार, जुकाम इत्यादि होता है, तो चुपचाप घर में बैठे रहने के निर्देश हैं, एवं ऐसी स्थिति में भी संक्रमण की पुष्टि करने वाले टेस्ट करने से डॉक्टर मना कर रहे हैं।
भारत में तो जिस मकान या सामुदायिक मिलन समारोह में किसी एक-दो संक्रमित लोगों की जानकारी मिल रही है, तो पूरे प्रतिभागियों की जाँच या उन पर नज़र रखी जा रही है। लेकिन कुछ हरामखोर डॉक्टरों पर हमले कर रहे है थूक रहे है । फिर भी ऐसा युद्धस्तरीय प्रबंध अन्य किसी देश की कल्पना के बाहर की बात है, जबकि उन देशों में तो जनसंख्या घनत्व अत्यंत कम है, और व्यवस्था बनाना कई गुणा आसान हो सकता है । कई देशो मे लोकडाउन की अवहेलना करने पर  कड़ी सजा व भारी जुर्माने का प्रावधान है और अपने यहाँ कुछ भी करो जो मर्जी। 
क्या आपको लगता है कि भारत देश में भी यही व्यवस्था हो जानी चाहिए? जहाँ लोग चिकित्सा सेवक पर थूक रहे हैं, जाँच करने वालो को मार रहे है क्वॉरंटीन वार्ड में  नंगे होकर आपत्तिजनक एवं अश्लील व्यवहार कर रहे हैं, फिर भी तुम चुप बैठे हो ।
कई देशों का क्षेत्रफल एवं जनसंख्या हमारे देश के एक राज्य से भी कम है। और रही भगदड़ की बात, वह हर जगह होती है। जब अमेरिका ने घोषित किया कि उनके निवासियों को छोड़ किसी अन्य व्यक्ति को यूरोप से आने की अनुमति नहीं है, तब भी भगदड़ मची, यूरोप आए अमेरिकी पर्यटक दस-दस हज़ार डॉलर के विमान टिकट लिए वापिस दौड़े। जबकि यह नियम यूरोप के लोगों के लिए था
उनमें और हम में अंतर मात्र गरीबी का है, भारत की चिंतापूर्ण जनसंख्या का है। जिसके लिए वर्तमान सरकार नहीं, आज तक की सभी सरकारें एवं नागरिक ज़िम्मेदार हैं। अशिक्षा भी सम्बंधित है, पर इसका वर्तमान आपातकाल से सम्बंध नहीं है। इसके प्रति कई वर्षों से प्रयास होना चाहिए था।
आजकल मिडिया का नकारात्मक व्यवहार भारतीयों के मनोबल को तोड़ रहा है। ऐसे समय पर अपेक्षित है कि आप अपने माध्यम से हर सिक्के के दोनों पहलू दिखाएँ। गलत को गलत व सही को सही तो दिखाओ ।
अंततः सनम्र निवेदन है कि कृपया जहाँ सच्चाई  हो, सराहना भी कीजिए, और राष्ट्र के प्रयासों में बाधा डालते मूर्खों को भी सामने लाये  क्योंकि मुझे गर्व है इन पत्रकारों  पर कि  इनसे बढ़िया कोई भी इंसान थूक के चाट नहीं सकता हैं। रवीश कुमार  किसी दिन थूकने वालों और वार्ड में अभद्र व्यवहार करने वालों पर भी प्राइम टाइम कीजिएगा।  आप आएँगे तो आपका देशप्रेम सामने आएगा, और उसे दिखाने में झिझक क्यूँ?
एक बात को कहना भूल ही गया शायद इनके  जैसे चु. युग युगो मे ही एक पैदा होते होन्गे।  

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