रविवार, 1 सितंबर 2019

मिट्टी का चूल्हा

राम राम सा
मित्रो हमे जीने के लिये कुछ  ना कुछ खाना पड़ता है और जो हम खाना पकाते है तो उन्हे पकाने के लिए चूल्हे की आवश्यकता होती है आजकल तो पुरे देश मे गैस के चूल्हे हो गये हैं। 
लेकिन गाँवो मे आज भी मिट्टी के चूल्हे देखने को मिल जाते है । चूल्हा वह  उपकरण होता है जिसमें चीज़ें पकाने या गरम करने के लिए कोयले, लकड़ियाँ आदि जलाई जाती हैं।
अब तो यह चूल्हे बहुत प्रकार के हो गये  है। पहले जोड़ो मे बनाये जाते थे ।अब ज्यादातर एकल ही बनाते है । जैसे- मिट्टी का चूल्हा, सीमेन्ट का चूल्हा  अंगीठी या सिगड़ी, गैस का चूल्हा और सौर उर्जा  चूल्हा आदि। मिट्टी के चूल्हे बनाने के लिये बहुत मेहनत करनी पड़ती है । आजकल गाँवो मे भी गैंस के चूल्हे आ गये है । लेकिन मिट्टी के  चूल्हे के उपर बने  खाने का स्वाद कुछ और ही होता है ।
हमारे यंहा तो चूल्हे में ईंधन के रूप में लकड़ी व गाय या भैंस के गोबर से बने उपले  ऊंटो के मिन्गणे का प्रयोग किया जाता है।ईंधन के रूप में  खेजडी व बबूल की लकड़ी सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है।
बचपन मे  सर्दियो के मौसम मे सुबह शाम हम सब ठण्ड से बचने के लिये चूल्हे के नजदिक  बैठ जाते थे। 

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