शनिवार, 21 सितंबर 2019

देसी काकड़ी व कासर

मित्रो मारवाड़ की काकड़ी खाने मजा ही कुछ और है वो भी जब पुरे खेत मे घुमने के बाद भी दो ही काकड़ी मिले और उसमे भी नमक व मिर्च लगाकर और भी स्वाद बढ़ जाता है ।
मारवाड़ की काकड़ी भी एक सिजनेबल  फल है वैसे तो ये खरबूजे से मिलता-जुलता फल है और स्वाद में थोड़ा खट्टा होता है।  इस बार ज्यादा बरसात होने के बावजूद भी कासर काकड़ी  मतीरे बहुत कम हुये है । काकड़ी को खाने के अलावा हमारे यहाँ  इसका  इस्तेमाल आमचूर की तरह भी करते है।
हमारे यहाँ काकड़ी  व कासर  को काटकर  सुखाकर सर्दियो मे सब्जी बनाने के लिये भी रखते है। कुछ लोग सुखाकर शहर के बाजारों में बेचते हैं।
हमे तो आज भी वो दिन याद है । जब हमारे दादा जी काकडी चखने से पहले बता देते थे कि ये काकड़ी खारी है खट्टी है या मीठी है पक्की है या कच्ची है । बचपन मे हमे काकड़ी पकने का  बहुत इन्तज़ार रहता था तो कभी कभी कच्ची तोडकर भी खा जाते थे । 
हम तो  अगले साल अच्छी काकड़ी के लिये  पहले से ही जो काकड़ी बड़ी व मीठी होती थी उसके बीज सम्भाल कर रखते थे । आजकल तो कुछ काकड़ी  व कासर  की बेले तो खेत में अपने आप उग जाती है। इसमें सैकड़ों बीज होते हैं और एक भी फल खेत में रह जाए तो अगले साल खुद-ब-खुद उग जाती है। मेरी सबसे पसंदीदा सब्जी भी छोटे छोटे कासर व ग्वार फली की है।

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