मंगलवार, 3 सितंबर 2019

राजस्थानी दोहा


कड़वी बेल की कड़वी तुमड़ी, अड़सठ तीरथ न्हाई। गंगा न्हाई, गोमती न्हाई, मिटी नहीं कड़वाई।

पहलो सुख नीरोगी काया, दूजो सुख हो घर में माया, तीजो सुख पुत्र अधिकारी, चोथो सुख पतिवर्ता नारी, 
पांचवों सुख राजा में पासा, छठो सुख सुस्थाने बासा, सातवों सुख विद्याफलदाता, ए सातूं सुख रच्या विधाता।

चेला ल्यावै मांग कर, बैठा खावै महन्त।
राम भजन को नांव है, पेट भरण को पन्थ।

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