बुधवार, 4 सितंबर 2019

राजस्थानी भजन- धोडे धोडे ने धन जोडियौ

धोड़े धोड़े ने बीरा धन जोडीयो,
ओ धन अटे धरेला।

दोहा – जबतक दिपक नही बुझे,
तबतक जानो तेल,
धनादास यु कहत है बीरा,
है आतम खेल।
राज धन ओर संपत्ति,
अविचल रहा न कोई,
जो घड़ी गई सतसंग में,
तुलसी धन है सोय।
नवलख जल का जीव है,
दस लख पंछी जान,
ग्यारह लाख किट ब्रंगी,
स्ताभर की सब खान,
तीस लाख पशु योनि,
चार लाख नर होय,
इनमें जो राम भजे,
तुलसी धन है सोय।।

धोड़े धोड़े ने बीरा धन जोडीयो,
ओ धन अटे धरेला,
ओ धन अटे धरेला,
हामल रे मन गेला,
ए धरमीराज लेखो पुचे,
ए हरी ने जवाब कोई देला,
ए मालिक ने जवाब कोई देला,
थोडो हामल रे मन गेला।।

अरे कंकर कंकर महल बनायो,
अरे कंकर कंकर महल बनायो,
अरे ओ महल अटे जडेला,
ओ महल अटे जडेला,
थोडो हामल रे मन गेला,
अरे धरमीराज लेखो लेला,
अरे धरमीराज लेखो लेला,
अरे हरी ने जबालो मन गेला,
मालिक ने जवाब कोई देला,
थोडो हामल रे मन गेला।।

अरे भाई रे बंधु थारे कुटम कबीलों,
अरे भाई रे बंधु कुटम कबीलों,
कोई थारे संग न चलेला,
अरे कोई थारे संग नही चलेला,
अरे हामल रे मन गेला,
अरे धरमीराज लेखो लेला,
अरे धरमीराज लेखो लेला,
अरे हरी ने जबालो मन गेला,
मालिक ने जवाब कोई देला,
थोडो हामल रे मन गेला।।

अरे कहत कबीर सुनो भई संतो,
कहत कबीर सुनो भई संतो,
ए किदोडी कमाई भुगतेला,
किदी कमाई भुगतेला,
अरे हामल रे मन गेला,
अरे धरमीराज लेखो लेला,
अरे धरमीराज लेखो लेला,
अरे हरी ने जबालो मन गेला,
मालिक ने जवाब कोई देला,
थोडो हामल रे मन गेला।।

धोडे धोडे ने बीरा धन जोडीयो,
ओ धन अटे धरेला,
ओ धन अटे धरेला,
हामल रे मन गेला,
ए धरमीराज लेखो पुचे,
ए हरी ने जवाब कोई देला,
ए मालिक ने जवाब कोई देला,
थोडो हामल रे मन गेला।।

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