गुरुवार, 29 अगस्त 2019

लोकगीत ऊड़ ऊड़ रे म्हारा काला रे कागला


उड़ उड़ रेउड़ उड़ रे महारा कला रे कागला
कद म्हारो पीवजी घर आवे
कद म्हारो पीवजी घर आवे

घिरत खान्दर जीमन जिमायुं
सोने में चोंच मंदायुं कागा
जद महारा पीवजी घर आवे

पांव रे थारे बांधू रे घुघरा
गले मैं हार पह्नावुन कागा

जद महारा पीवजी घर आवे

जो तू उडकर सुगन मनावे,
जनम जनम गुण गावुन कागा

जद महारा पीवजी घर आवे

रूपन मैं थारो पंख जदावुं
नीलम मैं पांव जदावुं कागा

जद महारा पीवजी घर आवे 

उड़ उड़ रे महारा

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