।। राम राम सा ।।
मित्रो ईस वर्ष पहली बुवाई मे बरसात कम होने व वापस देरी से बरसात आने के कारण बाजरा मूँग रहे नही थे उसके बाद जल्दी जल्दी लगातार बरसात होने के कारण दो बार और बुवाई और कर दी। और कल चौथी बार भी बुवाई की है परन्तु भलाराम जी के कहे अनुसार वापस रौड़ होने की 101% सम्भावना है ।पूर्णिमा व एकम दूज को बरसात का जोर होना बताया है । हम किसानो का काम है खेत की बुवाई करना और इन्द्र भगवान का काम हैं बरसात से सिचांई करना ।किसान का सिर तो ये बार ऊपर ही है पहले वर्षा नही थी तो उपर देखकर आशा करता रहा की जल्द बरसात हो हमारे लिये नही तो कम-से-कम इन्ं गायो के लिये तो हो । अब हुई तो भी उपर देखकर यही आशा करता है की से कम बुवाई के 8 दस दिन बाद बरसो । लेकिन बरसात तो हर तीसरे दिन तैयार हो जाती है । जैसे ही कान्कड़ मे पूरी बुवाई हुई बरसात तैयार हो जाती है । किसान आते जाते बादलों से तो यही पूछता है, कि अबकी बार तो पार उतार लेकिन अब ये देखना है कि बरसात गायो के लिये बरस रही है कि इन्सानो के लिये ये तो वक्त ही बताएगा। ये बार चौथी बार की बुवाई से उसकी चिंता तो जरुर बढ़ती ही जा रही है। किसान आसमान की ओर बारिश के लिए टकटकी लगाए देख रहे हैं कि अबकि बार तो पार उतारना लेकिन ऐसा होगा नही ।
गाँव के कुछ खेतो मे पहली बुवाई के बाजरा
मित्रो ईस वर्ष पहली बुवाई मे बरसात कम होने व वापस देरी से बरसात आने के कारण बाजरा मूँग रहे नही थे उसके बाद जल्दी जल्दी लगातार बरसात होने के कारण दो बार और बुवाई और कर दी। और कल चौथी बार भी बुवाई की है परन्तु भलाराम जी के कहे अनुसार वापस रौड़ होने की 101% सम्भावना है ।पूर्णिमा व एकम दूज को बरसात का जोर होना बताया है । हम किसानो का काम है खेत की बुवाई करना और इन्द्र भगवान का काम हैं बरसात से सिचांई करना ।किसान का सिर तो ये बार ऊपर ही है पहले वर्षा नही थी तो उपर देखकर आशा करता रहा की जल्द बरसात हो हमारे लिये नही तो कम-से-कम इन्ं गायो के लिये तो हो । अब हुई तो भी उपर देखकर यही आशा करता है की से कम बुवाई के 8 दस दिन बाद बरसो । लेकिन बरसात तो हर तीसरे दिन तैयार हो जाती है । जैसे ही कान्कड़ मे पूरी बुवाई हुई बरसात तैयार हो जाती है । किसान आते जाते बादलों से तो यही पूछता है, कि अबकी बार तो पार उतार लेकिन अब ये देखना है कि बरसात गायो के लिये बरस रही है कि इन्सानो के लिये ये तो वक्त ही बताएगा। ये बार चौथी बार की बुवाई से उसकी चिंता तो जरुर बढ़ती ही जा रही है। किसान आसमान की ओर बारिश के लिए टकटकी लगाए देख रहे हैं कि अबकि बार तो पार उतारना लेकिन ऐसा होगा नही ।
गाँव के कुछ खेतो मे पहली बुवाई के बाजरा
मूँग तो अच्छे है लेकिन रखवाली भी 24 घन्टे करनी पड़ती है।
गाये भेन्से भी किसानो की ये हालत देखकर चिन्तित है कि इन्सान हर बरस इन्द्र भगवान से प्रार्थना करता है कि गायो के लिये तो थोड़ा तो बरसो । और जब बरसात हो जाती है तो चारे के लिए लिये बाजरा को छोडकर सिर्फ नगद कमाई वाला मूँग की ही खेती करते है । खेत मे ही थ्रेसर से मूँग का लाटा ले लेते है चारा तो फुर्र फुर्र फुर्र से उड़ जाता है और मूँग बाजार मे बिक जाता है।इन्सान तो खुश हो जाता है मगर गायो के लिये चारा नही होता है । शायद इस वर्ष हमारे गाँव मे इन्द्र देव चारे के लिये ही बरस रहे है ।
गाये भेन्से भी किसानो की ये हालत देखकर चिन्तित है कि इन्सान हर बरस इन्द्र भगवान से प्रार्थना करता है कि गायो के लिये तो थोड़ा तो बरसो । और जब बरसात हो जाती है तो चारे के लिए लिये बाजरा को छोडकर सिर्फ नगद कमाई वाला मूँग की ही खेती करते है । खेत मे ही थ्रेसर से मूँग का लाटा ले लेते है चारा तो फुर्र फुर्र फुर्र से उड़ जाता है और मूँग बाजार मे बिक जाता है।इन्सान तो खुश हो जाता है मगर गायो के लिये चारा नही होता है । शायद इस वर्ष हमारे गाँव मे इन्द्र देव चारे के लिये ही बरस रहे है ।
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