बुधवार, 7 अगस्त 2019

आज फिर से बरसात

राम राम सा
सिनली गांव रे मोय आज शाम  फिर में बारिश ने दी दस्तक, झमाझम से मौसम हुआ खुशनुमा, गांव रे में आज बुवाई पूरी होते ही  वापस बरसात आने से बाजरा मूँग मे  रोड़ लग गई। शाम पांच  बजे से रुक रुक कर बादल बरसते रहे। बादल बरसात से मौसम खुशगवार हो गया। बारिश रहने से गरमी  का असर कम हो गया।वापस फसल बोते ही  बरसात होने से  गांव के किसानों के चेहरे चिन्तित जरुर दिखे । लेकिन इनको ये मालुम नहीं है कि ये बरसात तो गायो के लिये ही हुआ है । इन्सानो को घी दुध दही चाहिये । किसी को गाय भेंस नही चाहिये । गायो को गौशाला के नाम पर दूर के गाँवों मे बेसहारा  छोड़कर  आना और  अपने घर मे रखे चारे को 1500 रुपये क्विंटल बेचना इतनी बड़ी सोच है इन्सानो की । फिर भी भगवान को दोष देने से नही चूकते है । एक जमाना था । किसान अन्त समय तक चारा कभी नही बेचता था । ताकि ऐसे अवसर पर  मेरे नही तो किसी भाई बन्धु  के तो काम आयेगा ।गाँव जिसके पास चारा नही होता उसे उधारा दे देता था । ज्यादा समय रखने के बाद अगर सड़ भी जाता तो खाद के रूप में खेत मे डाल देता था । आज वो समय नही रहा है लोग ज्यादा मुनाफे के चक्कर मे बाजरा  ज्वार कम बोते है ओर मूँग ज्यादा बोते है । जब तक गाये दुध देती है तब तक लोग चारा डालते हैं।  जैसे ही दुध बन्द तो गाय को आवारा छोड़ देते है । और  अगर कोई बुजुर्ग कह दे कि  गाय बाहर क्यो छोड़ी तो मित्रो उनके जवाब सुनकर हेरान हो जाओगे । तरह तरह के जवाब मिल जावे ।  बापू आ गाय तो मे कदैई बेची थी म्हारी गाय तो गौरी ही और आ तो काली है ।  इणरा तो सिंग लम्बा है म्हारली तो छोटा छोटा सींग हा ।    
ऐसे ऐसे जवाब मिलते है
मित्रो पहले और अभी के खेत बुवाई के बाद आपको एक और  बदलाव नजर आता है  वो ये है कि पहले  किसान दो  खेतों के बीस मे लगभग दस  पन्द्रह फिट जगह खाली छोड़ते थे ताकी जानवरों को चारा हो  बीस मे पेड़-पौधे हो जिसमे कोई जीव जन्तु अपना घर कर सके  और  अब आपको दो खेतो के बीस एक फिट भी चारे के लिये जगह नजर नही आती है। क्योकि अब हम होशियार हो गये है ।  फिर  भी भगवान को दोष दे रहे है ।   
गुमनाराम पटेल सिनली 

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