श्लोक – गुरू ब्रह्म गुरु विष्णु,
गुरु देवो महेश्वर:,
गुरु साक्षात परब्रह्म,
तस्मै श्रीगुरूवै नम:।
ध्यानमूलं गुरुमूर्ति:,
पूजामूलं गुरु: पदम्,
मंत्रमूलं गुरूवाक्यं,
मोक्षमूलं गुरु कृपा।।
दोहा – अरे शब्द विवेकी पारखु,
मारे सिर माथे रा मोर,
सब संतो ने वंदगी,
भई अपनी अपनी ठोर।
दोहा – राम किसी को मारे नही,
ओर सबके दाता राम,
अपने आप मर जावसी,
कर कर खोटा काम।
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