आभै चमके बिजळी, धण नैना में प्यार |
जळ बरसावे बादळी, हिवड़ो रस री धार ||
चौमासो चोखो घणो, साजन हो जद साथ |
मुधरा मुधरा मुळकता, बिते दिन और रात ||
बीज झबूके बादली, घूँघट गौरी नैन |
मनचीती पूरी करे, सावन सांचों सैण ||
घुट घुट आवे बादली, घुट घुट उमड़े नेह |
भीगे मनभर गोरड़ी, आँगन बरसे मेह ||
नदी नालां जल उफणे, हिवडे प्रीत हिलोर |
धरा, हिये दोन्यू जगह, मधरा नाचे मोर ||
हरियाळो गौरी हियो, हरियल धरती सेज |
सुपणा हरियल नैन में,इंद्र,अनंग रंगरेज़ ||
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें